आयोग की भ्रामक रिपोर्ट
रूप सिंह नेगी, सोलन
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की जम्मू- कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन की जो कथित रिपोर्ट हमारे देश को थमाई गई है, उससे ऐसा लगना स्वाभाविक है कि रिपोर्ट पूर्वाग्रह से ग्रसित, प्रेरित, भ्रामक एवं द्वेषपूर्ण है, ताकि देश की सेना, सुरक्षा बल एवं पुलिस को बदनाम किया जा सके। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह रिपोर्ट देश की प्रभुत्ता को ठेस पहुंचाने के लिए दी गई है। निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि रिपोर्ट में धरातल की असलियत को दरकिनार कर दिया गया है और रिपोर्ट को इस तरीके से तैयार किया गया है, ताकि देश की छवि खराब हो। विडंबना है कि रिपोर्ट में सीमापार से आने वाले आतंकवादियों को ‘आर्म्ड ग्रुप’ बताया गया है। पैलेट गन और अफस्पा हटाने की बात कही गई है। अतः सब इस बात से वाकिफ हैं कि जम्मू-कश्मीर में अफस्पा हटाने के बारे में सोचना भी बेवकूफी से कम न होगा। इसमें कोई दो राय नहीं है कि जम्मू-काश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और भारत इस राज्य की अहमियत से भली-भांति वाकिफ है। आयोग की इस रिपोर्ट को पक्षपाती रवैया करार दिया जाना चाहिए। आयोग से अपेक्षा की जानी चाहिए कि वह इस रिपोर्ट को त्वरित वापस ले।
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