और यह भी…

By: Jun 20th, 2018 12:05 am

विक्की चौहान, कांगड़ा

अभी-अभी तो विधानसभा चुनाव होकर हटे हैं और अब नेता लोकसभा चुनावों की तैयारी में लग गए हैं। हिमाचल की बात छोड़ो पूरे देश में ही लगभग चुनावी माहौल पूरा साल ही बना रहता है। प्रदेश पर चुनावों के खर्च का कितना ही बोझ पड़ेगा और प्रदेश पर तो पहले ही 50000 करोड़ का कर्ज चढ़ा हुआ है। क्या लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ नहीं हो सकते?

 


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