कहां खर्चा सीए-एनपीवी का फंड

By: Jun 20th, 2018 12:20 am

सरकार ने लोक निर्माण विभाग से सड़क निर्माण की फोरेस्ट क्लीयरेंस के लिए जमा राशि का मांगा हिसाब

शिमला — सड़क मार्गों के निर्माण की फोरेस्ट क्लीयरेंस के लिए जमा राशि का सरकार ने लोक निर्माण विभाग से हिसाब मांगा है। राज्य सरकार ने वन विभाग से पूछा है कि पिछले तीन वर्षों में कंपनसेटरी एफोरेस्ट्रेशन (सीए) और नेट प्रेजेंट वैल्यू (एनपीवी) के लिए कितना पैसा दिया गया है। इसके बदले किन-किन सड़क मार्गों के समीप पौधारोपण किया गया है। आधिकारिक सूचना के अनुसार वन विभाग को सरकार हर साल औसतन 100 करोड़ की राशि फोरेस्ट क्लीयरेंस के लिए देती है। नियमों के तहत सड़क मार्गों के निर्माण की जद में आने वाली जमीन में दोगुना पेड़ लगाने की कड़ी शर्त नियमों में शामिल है। इसके तहत एक हेक्टेयर भूमि के जद में आने पर 10 लाख रुपए कंपनसेटरी एफोरेस्ट्रेशन के लिए जमा करवाने का प्रावधान है। इसके अलावा प्लांटेशन के रख-रखाव के लिए दस वर्षों की राशि फोरेस्ट क्लीयरेंस के दौरान दी जाती है। इसके अतिरिक्त एनपीवी को दी जाने वाली राशि कैंपा हैड में जमा होती है। राज्य सरकार की अतिरिक्त मुख्य सचिव मनीषा नंदा ने लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली का कड़ा अध्ययन किया है। इस आधार पर उन्होंने सड़क मार्गों की गुणवत्ता और व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए कई नए प्रयोग शुरू किए हैं। इसी कड़ी में अतिरिक्त मुख्य सचिव ने लोक निर्माण विभाग को जवाब-तलब किया है कि सड़क मार्गों की फोरेस्ट क्लीयरेंस के लिए एनपीवी व कंपनसेटरी एफोरेस्ट्रेशन में कितनी राशि दी गई है। लिहाजा मुख्य सचिव ने कंपनसेटरी एफोरेस्ट्रेशन और एनपीवी की फाइलों पर जमी धूल को हटाने के निर्देश दिए हैं।

वन विभाग से तीन साल का ब्यौरा

मनीषा नंदा ने वन विभाग को चिट्ठी लिखकर पिछले तीन सालों का हिसाब पूछा है। इसमें कहा गया है कि किस सड़क मार्ग के विरुद्ध वन विभाग को कंपनसेटरी एफोरेस्ट्रेशन और एनपीवी में कितना पैसा मिला है। इसके बदले कितना पौधारोपण किया गया है। जाहिर है कि सड़क मार्गों के निर्माण के बाद वन विभाग सड़क किनारे प्लांटेशन करना भूल जाता है। इस कारण बरसात के मौसम में भू-स्खलन से सड़क मार्गों को नुकसान होता है। इसके अलावा पर्यावरण को भी क्षति पहुंचती है।


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