काला पीलिया पर विभाग सतर्क

By: Jun 8th, 2018 12:05 am

नादौन शहर साथ सटे गांव में उपचार करवा रहे लोग, रक्त संक्रमण से फैलता है रोग

नादौन  – काफी समय से नादौन तथा इसके आसपास के क्षेत्रों में काला पीलिया के रोगियों की संख्या तुलनात्मक दृष्टि से अधिक होने के कारण लोगों में कई तरह की आशंकाएं हैं। नादौन शहर व इसके साथ लगते गांवों में कई लोग इस रोग का उपचार करवा रहे हैं। वहीं गत वर्षों में इस रोग के कारण कई लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से क्षेत्र भर में चलाए जा रहे विशेष अभियान के अंतर्गत लोगों को इस रोग बारे जागरूक किया जा रहा है। इस कारण लोगों में अब इस रोग के प्रति जागरूकता बढ़ी है, परंतु इसी क्षेत्र में अधिक रोगी होने से कई तरह के प्रश्न उत्पन्न होते हैं। विभाग के अभियान के बाद सरकारी अस्पतालों में उपचार करवाने वालों की संख्या बढ़ी है। विशेषज्ञों का मानना है कि रक्त से संबंधित इस रोग के पनपने के कई कारण हैं, परंतु स्वच्छता भी इसमें एक अहम कारण है। यदि विशेषज्ञों की मानें तो इस रोग के फैलने के मुख्य कारण रक्त संक्रमण है। खाने-पीने की वस्तुओं में स्वच्छता का होना आवश्यक है। इस रोग से ग्रसित अधिकांश लोग अभी भी जानकारी व जागरूकता के अभाव में नीम हकीमों तथा झाड़-फूंक पर ही निर्भर हो जाते हैं और रोगी को अस्पताल उस समय पहुंचाया जाता है जब पीडि़त की स्थिति बहुत अधिक बिगड़ जाती है। क्षेत्र भर में पीलिया का इलाज करने वाले नीम हकीमों की कोई कमी नहीं है।  ऐसे नीम हकीम कई बार एक ही सुई का प्रयोग कई रोगियों के टीकाकरण में प्रयोग कर देते हैं। गर्मियों व बरसात के मौसम में स्वच्छ पेयजल सुनिश्चित करना आवश्यक है। वहीं घरों में भी स्वच्छता बनाए रखना जरूरी है। गौर हो कि क्षेत्र भर में कई प्रवासी बिना किसी लाइसेंस के खुले में खाद्य पदार्थ बेच रहे हैं या ऐसे ही कई लोग बिना स्वास्थ्य जांच करवाए ढाबों, होटलों, व खाद्य पदार्थ बेचने या बनाने वालों के पास कार्यरत हैं, परंतु ऐसे लोगों पर विभाग द्वारा कभी-कभार ही कार्रवाई की जाती है। ऐसे लोगों की कड़ाई से नियमित स्वास्थ्य जांच होनी चाहिए। इस संबंध में दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में कार्यरत वरिष्ठ कंसल्टेंट डा. एससी शर्मा ने बताया कि रक्त संक्रमण से बचाव अति आवश्यक है। उपचार करवाते समय संक्रमित सुइयों का प्रयोग न हो यह अवश्य सुनिश्चित होना चाहिए। नादौन अस्पताल में कार्यरत डा. बीएस राणा ने बताया कि रोग के लक्षण सामने आते ही रोगी को इधर-उधर के उपचार के बजाय सरकारी अस्पताल में ही उपचार करवाना चाहिए।

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