खेल विश्वविद्यालय से रोजगार की डगर

By: Jun 29th, 2018 12:05 am

अनुज कुमार आचार्य

लेखक, बैजनाथ से हैं

खेल विश्वविद्यालय की स्थापना होने से हिमाचली युवाओं को प्रदेश के भीतर ही शारीरिक शिक्षा में स्नातक, स्नातकोत्तर और डिप्लोमा कोर्स करने की सुविधा मिलेगी। पहाड़ी राज्य के प्रतिभाशाली खिलाडि़यों को खेल कला में निष्णात बनाने के दृष्टिगत प्रदेश सरकार की खेल एवं शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय खोलने की पहल सराहनीय है…

हिमाचल प्रदेश में खेलों को बढ़ावा मिले और रोजगार के नए अवसर भी सृजित हों, इसे लेकर प्रदेश में खेल विश्वविद्यालय खोलने की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है। खेल विश्वविद्यालय की स्थापना होने से हिमाचली युवाओं को प्रदेश के भीतर ही शारीरिक शिक्षा में स्नातक, स्नातकोत्तर और डिप्लोमा कोर्स करने की सुविधा मिलेगी । पिछले कुछ वर्षों से राज्य के सरकारी स्कूलों में शारीरिक शिक्षकों की भर्ती में ठहराव के  कारण कई पाठशालाओं में इस विषय के अध्यापकों के पद रिक्त चल रहे हैं। शारीरिक शिक्षा का मूल उद्देश्य स्वस्थ मानव का निर्माण करना है। पहले शारीरिक शिक्षा के सूत्र विद्यालयों में प्रातःकालीन सभा में होने वाले क्रियाकलापों अथवा खेलों के द्वारा विद्यार्थियों को सिखाए जाते थे। आधुनिक जमाने की भागदौड़ और घर द्वार पर आकर बच्चों को ढोकर स्कूल पहुंचाने वाली स्कूल की बस अथवा कैब की व्यवस्था ने विद्यार्थियों की थोड़ी बहुत पैदल चलने की आदत को भी लील लिया है। ऊपर से पठन-पाठन की बाध्यता के कारण आजकल अधिकांश बच्चे सांध्यकालीन खेलों से भी विमुख हो चुके हैं।

हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों की बात करें, तो वर्तमान समय में अधिकांश स्कूलों में शारीरिक शिक्षा के अध्यापकों की कमी है। यदि स्कूलों में शारीरिक शिक्षक नहीं होंगे, तो निस्संदेह बच्चों में छुपी खेल प्रतिभा को पहचानने, उनमें अनुशासन के गुणों को परिमार्जित करने और योग जैसे विषयों की गूढ़ जानकारी को विद्यार्थियों तक पहुंचाने में समस्या तो आएगी ही। इन त्रुटियों को समय रहते संभालने और पहाड़ी राज्य के दमखम रखने वाले प्रतिभाशाली खिलाडि़यों को खेल कला में निष्णात बनाने के दृष्टिगत प्रदेश सरकार की खेल एवं शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय खोलने की पहल सराहनीय ही कही जा सकती है! हिमाचल प्रदेश में खेलों के प्रति उत्साह का वातावरण बने तथा उदीयमान खिलाडि़यों को प्रोत्साहन मिले, इसके लिए सरकारी रोजगार में खेल कोटे के अंतर्गत 3 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है और जिसके लिए 3 राष्ट्रीय स्तर के प्रमाणपत्रों का होना आवश्यक शर्त बनाई गई है।

इसके अलावा ओलंपिक पदक विजेताओं के लिए 50 लाख से 2 करोड़ तक इनामी राशि देने का प्रावधान भी है। यह वक्त का तकाजा है कि हमारे नीति-निर्माता अब प्रचलित लीक और ढर्रे से परे हटकर कुछ नया सोचें, कुछ नया करें, जिससे नई परंपराओं की शुरुआत हो और सुंदर परिणाम सामने आएं। इसी सोच और कार्यप्रणाली की आवश्यकता की दरकार लगभग प्रत्येक विभाग को भी है। इन दिनों हिमाचल के सरकारी स्कूलों में खेलों का दौर चल रहा है, लेकिन शारीरिक शिक्षकों की कमी एवं सुविधाओं के अभाव में इस प्रकार के आयोजन महज खानापूर्ति तक ही सीमित होकर रह जाते हैं। साल-दर-साल यही परिपाटी चली आ रही है। हिमाचल प्रदेश में खेलों के प्रति उत्साह का वातावरण तैयार हो और खिलाडि़यों की नई पौध को तैयार किया जा सके, इसके लिए 1982-83 में युवा और खेल विभाग की स्थापना की गई थी। 2016-17 में विभाग का बजट 40 करोड़ रुपए था। प्रदेश में ऊना, बिलासपुर और एक अन्य जिले में कुश्ती, एथलेटिक्स, जूडो, वालीबाल, हाकी, हैंडबाल, कबड्डी और बास्केटबाल की कोचिंग दी जाती है। इन खेल छात्रावासों को आधुनिक खेल सुविधाओं के साथ-साथ खिलाडि़यों के रहन-सहन की दृष्टि से आधुनिक बनाने की जरूरत है। पर्याप्त स्टाफ  की व्यवस्था होना भी आवश्यक है। राज्य में ‘हिमाचल प्रदेश राज्य खेल नीति 2001’ लागू है, लेकिन अपनी समग्रता में इस नीति के अंतर्गत खेलों को बढ़ावा मिले, इसके लिए राज्य सरकार को खेल बजट में वृद्धि करनी होगी। युवा सेवाएं एवं खेल विभाग द्वारा हिमाचल प्रदेश खेल परिषद को  ग्रांट इन एड देने के अलावा कोचिंग कैंप का आयोजन करवाने  और खेलों में प्रयुक्त होने वाली खेल सामग्री की खरीद भी की जाती है। विभाग द्वारा खंड, जिला और राज्य स्तर पर महिला खेल टूर्नामेंट आयोजित करवाने के अतिरिक्त असाधारण खेल प्रतिभाओं को नकद राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान की जाती है। यूथ फेस्टिवल के आयोजन द्वारा युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए मंच उपलब्ध करवाया जाता है।

स्पोर्ट्स फिजिकल एजुकेशन फिटनेस एंड लेजर स्किल्स काउंसिल के अनुसार देश के भीतर खेल और शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में 40 लाख से ज्यादा लोगों के लिए रोजगार के अवसर बनेंगे। इनमें स्पोर्ट्स साइंस एंड टेक्नोलाजी, स्पोर्ट्स मैनेजमेंट, स्पोर्ट्स कोचिंग, स्पोर्ट्स टीचिंग, स्पोर्ट्स इवेंट मैनेजमेंट, स्पोर्ट्स मेन्युफेक्चरिंग आदि क्षेत्रों में रोजगार के मौके बढ़ेंगे। इस लिहाज से हिमाचल प्रदेश में खेल विश्विद्यालय की अवधारणा कागजों से उतरकर धरातल पर साकार होती है, तो यह जयराम सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक उपलब्धि होगी।


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