गरीब मरीजों की सुनो
पूजा, मटौर
मरीज घर से जब अस्पताल के लिए सुबह निकलते हैं, तो यही सोचते हैं कि जल्दी जाएंगे तो जल्दी नंबर लगेगा, लेकिन वहां जाकर लाइन तो होती ही है, पर कोई किसी का रिश्तेदार और कोई किसी का…। इनका बिना टोकन के ही डाक्टर के पास पहले चेकअप हो जाता है। यह हालात टांडा अस्पताल के हैं। जो लोग सुबह 5 बजे के बैठे हैं, उन्हें लाइन में लगे सुबह से शाम हो जाती है, ऐसा क्यों? तब मरीज के मन में एक ही सवाल आता है, इससे अच्छा तो प्राइवेट अस्पताल चले गए होते। इसी वजह से अमीर लोग प्राइवेट अस्पतालों की ओर ज्यादा रुख करते हैं। परंतु वहीं कुछ गरीब लोग जो खर्चे से बचने के लिए सरकारी अस्पतालों में आते हैं, वह क्या करें? माताएं सुबह से अपने बच्चे को गोद में उठाए यहां-वहां घूम रही हैं, कभी बच्चा फर्श पर सो रहा है, तो कभी रो रहा है। फिर उस मां का सवाल आता है कि सर मैं सुबह से बैठी हूं, पर अभी तक मेरा नंबर नहीं आया? कहां आएगा उसका नंबर, 4-5 मरीज तो पहले से सिफारिश वाले हैं। वह सुबह से बस लेकर चले हैं उसका कोई मतलब नहीं, पर जो गाड़ी में आया है वह जरूरी मरीज है। इसलिए सरकार से अनुरोध है कि सरकारी अस्पतालों की ऐसी दुर्दशा सुधारने की भी सुध ली जाए, ताकि गरीब जनता को इतनी दिक्कतें न झेलनी पड़ें।
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