चिंतपूर्णी में अव्यवस्था की बलि चढ़े व्यापारी

By: Jun 23rd, 2018 12:05 am

राकेश शर्मा

लेखक, जसवां, कांगड़ा से हैं

 नए बस अड्डे से लेकर मंदिर तक की सड़क पर स्थानीय निवासियों के साथ-साथ नजदीकी गांवों के बाशिंदो और व्यापारियों का पूरा हक है, परंतु प्रशासन श्रद्धालुओं को सुविधा देने के लिए सड़कों पर लाइनें लगवाकर न तो उन्हें सुविधा दे पाता है और न ही स्थानीय निवासियों की मुश्किलों को हल कर पाता है…

कांगड़ा और ऊना जिला की सीमा पर स्थित विश्व प्रसिद्ध माता चिंतपूर्णी मंदिर में अव्यवस्थाओं से खिन्न पंजाब से संबंधित एक श्रद्धालु के द्वारा हाई कोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका पर आदेशों को प्रशासन द्वारा अमलीजामा पहनाने से सीधा स्थानीय व्यापारी वर्ग निशाने पर आ गया है। पार्किंग और शौचालयों की कमी जैसी मुख्य समस्याओं का यहां आने वाले श्रद्धालुओं को सामना करना पड़ता है। ये समस्याएं ज्वलंत हैं और सरकार द्वारा मंदिर अधिग्रहण के लगभग 20 वर्षों  के बाद भी जस की तस बनी हुई हैं। नए बस स्टैंड से लेकर मंदिर तक यात्रियों की सुविधा के लिए शौचालयों की कोई पक्की और नियमित व्यवस्था नहीं की गई है। बीमारों, छोटे बच्चों और बुजुर्गों को इस वजह से भारी समस्या का सामना करना पड़ता है। ये समस्या कोई नई नहीं है। अकसर श्रद्धालु शौचालयों की खोज में इधर-उधर भटकते दिखाई देते हैं। ऐसी स्थिति में चिंतपूर्णी का व्यापारी ही उन श्रद्धालुओं को सुविधा प्रदान करता है। छोटी-छोटी प्रसाद की दुकानों और होटलों में यात्रियों की सुविधा के लिए शौचालयों का निर्माण किया गया है। एक प्रकार से इस बड़ी समस्या के समाधान के लिए व्यापारी वर्ग ने अपना पूर्ण योगदान आज तक दिया है। दूसरी बड़ी समस्या पार्किंग की है, जिसके समाधान के लिए भी स्थानीय व्यापारियों द्वारा अपने होटलों में बड़ी पार्किंगों का निर्माण किया गया है और छोटी दुकानें भी इस विषय पर संवेदनशीलता दिखाती हैं और यात्रियों को सुविधा प्रदान करने का प्रयत्न करती हैं।

ये भी कटु सत्य है कि मंदिर न्यास भी अपनी ओर आने-जाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की गाडि़यों को खड़ी करने के लिए आज तक पार्किंग का निर्माण नहीं करवा सका है। नतीजतन इन गाडि़यों को भी सड़क के किनारे खड़ा किया जाता है। यहां आने वाले यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए न्यायालय के आदेशों के बाद अब कांगड़ा और ऊना जिलों के प्रशासन द्वारा संयुक्त रूप से मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं देने के लिए अवैध निर्माणों और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। कसौली में अतिक्रमण हटाने के दौरान हुए दर्दनाक हादसे के बाद प्रशासन ने सबक सीखते हुए और पूरी मुस्तैदी के साथ प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चिंतपूर्णी में आजकल अवैध कब्जों को छुड़वाने के लिए अभियान छेड़ा हुआ है। धारा 144 के अलावा स्थानीय लाइसेंसशुदा हाथियारों को पुलिस स्टेशन में जमा करवा लिया गया है। इस मुिहम में चिंतपूर्णी के स्थानीय व्यापारी निशाने पर आ गए हैं। बहुत से व्यापारियों को जल्द से जल्द अपना कारोबार समेटने के नोटिस प्रशासन द्वारा दिए जा चुके हैं। इस वजह से आज बहुत से परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। सरकार को उनके साथ सहानुभूतिपूर्वक रवैया अपनाने की जरूरत है और उनके पुनर्वास के बारे में सोचने की जरूरत है।

हिमाचल प्रदेश का सबसे भीड़ वाला ये मंदिर शायद प्रदेश का और देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां पर लगभग प्रतिदिन दर्शनार्थियों की लाइनें उन सड़कों पर लगती हैं, जहां से नजदीकी गांवों के लोग, कर्मचारी अपने छोटे-मोटे वाहनों को लेकर या पैदल गुजरते हैं। इसके अलावा प्रतिदिन प्रयोग होने वाली वस्तुओं को लाने-ले जाने वाले वाहन और स्कूल बसें तथा मरीजों को लेकर जाने वाले वाहन भी मंदिर के लिए लगी हुई लाइनों को तोड़कर निकलते हैं। जब आम जनमानस की आवाजाही को रोक कर देवी के दर्शनों को आए हुए भक्तों की लाइनें लगा दी जाती हैं, तब इस सड़क पर भक्त और स्थानीय बाशिंदों के बीच में अकसर तनातनी देखने को मिलती है। इन सब के बीच प्रशासन इस सड़क पर समय-समय पर गाडि़यों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा देता है, लेकिन सड़क पर मंदिर के दर्शनार्थियों की लाइनें लगाई जाएं, ये जरा भी उचित नहीं है। गर्मी, सर्दी और बारिश से जूझते हुए बेचारे श्रद्धालू जब मंदिर तक पहुंचते हैं, तब तक उनकी काफी ऊर्जा समाप्त हो चुकी होती है। चिंतपूर्णी मंदिर न्यास के द्वारा पिछले कुछ वर्षों में किए गए कार्यों में मंदिर से लगभग 800-900 मीटर दूर नए बस अड्डे के पास बड़े-बड़े भवनों का निर्माण किया गया है। यहां पर यात्रियों की सुविधा के लिए तरह-तरह के इंतजाम किए गए हैं, जिनमें वेटिंग हॉल और पार्क भी बनाए गए हैं।

इस तरह के भवनों का निर्माण मंदिर परिसर के नजदीक किया जाता और मंदिर आने वाले यात्रियों को मंदिर के नजदीक पहुंचाकर इंतजार करवाया जाता, तो सड़क पर लगने वाली लाइनों से स्थानीय निवासियों और व्यापारियों को निजात मिल सकती थी। नए बस अड्डे से लेकर मंदिर तक की सड़क पर स्थानीय निवासियों के साथ-साथ नजदीकी गांवों के बाशिंदों और व्यापारियों का पूरा हक है, परंतु प्रशासन श्रद्धालुओं को सुविधा देने के लिए सड़कों पर लाइनें लगवाकर उन्हें सुविधा देने की कोशिश में न तो पूरी तरह से उनको सुविधा दे पाता है और न ही स्थानीय निवासियों की मुश्किलों को हल कर पाता है। पिछले कई वर्षों से मंदिर के लिए मेन रोड के अलावा निकाला गया समणोली बाईपास रोड आज तक पूरा नहीं हो पाया है। जब से इस सड़क का निर्माण हुआ, तब से लेकर आज तक उस सड़क का एक कोना इतने बड़े-बड़े गड्ढों से भरा हुआ है कि जब कोई गाड़ी वहां से गुजरती है, तो ऐसा लगता है मानो गाड़ी पूरी की पूरी गड्ढे में समा जाएगी। अब अगर इस एक कोने को ठीक करने में इतने वर्ष लग जाएं, तो ये वाकई एक शर्मिंदगी की बात है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App