छोटी उम्र में लेखन के लंबे हाथ

By: Jun 17th, 2018 12:05 am

दि कोंबो आफ प्राब्लम्स

दिव्यांगना त्रिवेदी अंग्रेजी में लिखी गई किताब ‘दि कोंबो आफ प्राब्लम्स’ लेकर पाठकों के समक्ष हैं। 54 पृष्ठों पर आधारित यह किताब दो सेक्शन में बांटी गई है। यह किताब कहानियों व थ्यूरी का सम्मिश्रण है।

प्रथम सेक्शन के पहले पाठ में अपराध को मुख्य समस्या बताया गया है। अपराध क्यों पनपते हैं, इनको कैसे रोका जा सकता है, इस विषय पर चिंतन हुआ है। दूसरे पाठ में अपराध के लक्ष्य बताए गए हैं। तीसरे पाठ में प्रोटेक्टर्स के बारे में बात की गई है, जबकि चौथे पाठ में विधानपालिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका जैसे संस्थानों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया है। पांचवां पाठ धर्म की उत्पत्ति के बारे में बात करता है, जबकि छठा पाठ कहता है कि आरक्षण कोई बुरी बात नहीं है।

दूसरे सेक्शन का पहला पाठ है ताज होटल अटैक 26/11, इसमें आतंकवादियों द्वारा किए गए इस हमले की पूरी जानकारी दी गई है। आतंकवादी हमला करने में कैसे सफल हो गए, यह भी इसमें बताया गया है। दूसरे पाठ में आतंकवादी मोहम्मद अजमल कसाब की स्वीकारोक्ति दी गई है। इस हमले में यही एक जीवित आतंकी बचा था, जिसे बाद में फांसी दे दी गई। तीसरा पाठ मुंबई बम ब्लास्ट 1993 की कहानी कहता है। चौथे पाठ में कुख्यात अपराधी याकूब मेमन का एक रिपोर्टर के साथ इंटरव्यू प्रकाशित किया गया है। पांचवें पाठ में आतंकवाद पर चर्चा की गई है। छठे पाठ में आतंकवाद के शस्त्र व साधन बताए गए हैं, जबकि सातवें पाठ में विश्व भर के मुख्य आतंकवादियों व उनके संगठनों का ब्योरा पेश किया गया है। आतंकवाद किस तरह विश्व के लिए एक बड़ी बुराई के रूप में सिद्ध हो रहा है, यह बात इस किताब से समझी जा सकती है।

आतंकवाद क्यों उपजा, वह किस तरह विश्व भर में फैल रहा है, इसका पूरा जायजा इस किताब में लिया गया है। इस किताब में अपराध व आतंकवाद के कानूनी पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है। पुस्तक का लक्ष्य इन बुराइयों से समाज को अवगत कराना है। आशा की जाती है कि यह किताब पाठकों को पसंद आएगी। साधारण अंग्रेजी में लिखी गई यह किताब न्याय प्रणाली पर भी प्रसंगवश चर्चा करती है।

दि कोंबो आफ प्राब्लम्स : दिव्यांगना त्रिवेदी, एजुक्रिएशन पब्लिशिंग, नई दिल्ली, 165 रुपए


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