जवाब आया है…

By: Jun 16th, 2018 12:05 am

राजेश कुमार चौहान

‘संघ वही संघ है, प्रणब वही प्रणब हैं’ लेख में प्रो. एनके सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के संघ मुख्यालय के दौरे पर अपनी राय दी। प्रणब मुखर्जी के संघ मुख्यालय में जाने का विरोध कांग्रेस ने इसलिए किया, क्योंकि इसके अनुसार प्रणब मुखर्जी का रिश्ता कांग्रेस से तो काफी पुराना है, फिर इन्होंने संघ का निमंत्रण क्यों स्वीकार किया? कोई भी राजनीतिक दल यह नहीं चाहेगा कि उसका सबसे पुराना सदस्य विरोधी पार्टी के साथ जुड़े अंग में जाए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक को हिंदू धर्म का कट्टरपन माना जाता है, जो कि हिंदुओं के धर्म की मान मर्यादा बचाने के लिए भी उचित भी है, लेकिन संघ मुख्यालय पर पूर्व राष्ट्रपति ने अपने संवाद में संघ को भी नसीहत दी। संघ भारत को सनातन धर्म का मंदिर मानता है, लेकिन संघ मुख्यालय पर अपने संवाद में मुखर्जी ने कहा कि ‘एक भाषा, एक धर्म, एक पहचान नहीं है हमारा राष्ट्रवाद’। पूर्व राष्ट्रपति ने संघ मुख्यालय में जो भाषण दिया वह देश को जोड़ने वाला और देश के हरेक धर्म के नागरिक को देशभक्ति की राह पर अग्रसर करने वाला था। प्रणब मुखर्जी के संघ दौरे पर जिन राजनीतिक दलों ने इस पर नाराजगी जताई या विरोध जताया था, उन्होंने प्रणब मुखर्जी के देशभक्ति से ओतप्रोत भाषण के बाद अपनी किरकिरी महसूस जरूर की होगी।

 


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