नशे के नाश के लिए एक हो जाए जनता
शिमला— मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि देवभूमि में नशे के लिए कोई जगह नहीं है। नशे को रोकने के लिए जनता को एकजुट होना होगा। बिना जनसहभागिता के नशे के प्रचलन को नहीं रोका जा सकता। सरकार चाहे जितने भी प्रयास कर ले, यदि जनता का सहयोग नहीं होगा तो इस पर लगाम लगानी मुश्किल है। इसलिए आम लोगों को एकजुट होना चाहिए। मुख्यमंत्री रविवार को रिज पर अंतरराष्ट्रीय नशाखोरी और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस पर आयोजित आठवीं हिमाचल पुलिस हॉफ मैराथन को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने समारोह के लिए राज्य पुलिस के प्रयासों की सराहना की और कहा कि समाज से नशीली दवाओं के खतरे को पूरी तरह से समाप्त करने के प्रयास किए जाने चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य में लगभग 27 प्रतिशत युवा नशीली दवाओं के दुरुपयोग में शामिल हैं। इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास और लोगों की भागीदारी महत्त्वपूर्ण है। सीएम ने कहा कि नशा व्यापार से मुनाफा कमा रहे लोगों के खिलाफ कड़ी सजा सुनिश्चित की जानी चाहिए तथा यह कड़ा संदेश दिया जाना चाहिए कि दवा मुनाफा एक गंभीर अपराध है, जिसे दंडित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चूंकि किशोरावस्था के वर्ष जोखिमपूर्ण वर्ष होते हैं, इसलिए शैक्षणिक संस्थानों में दवाओं के दुष्प्रभावों के बारे में विशेष जागरूकता अभियान शुरू किए जाने चाहिए। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर चित्रकला प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। पुलिस महानिदेशक सीता राम मरड़ी ने मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन का मुख्य उद्देश्य नशीली दवाओं के दुरुपयोग के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करना है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष राज्य में 230 किलोग्राम चरस चोरों तथा नशीली दवाओं के व्यापारियों से बरामद की गई है। दवाओं के दुष्प्रभाव के बारे में राज्य पुलिस ने छह लाख से अधिक लोगों को संवेदनशील बनाया है। इस अवसर पर पुलिस कर्मियों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम और नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर लघु नाटिका प्रस्तुत की। महानिदेशक नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो नई दिल्ली अभय, उपायुक्त शिमला अमित कश्यप, पूर्व डीजीपी रतीराम वर्मा और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी उपस्थित रहे।
85 साल के पूर्व डीजीपी भी दौड़े
हॉफ मैराथन की खासियत यह रही कि वरिष्ठ नागरिक भी युवाओं को संदेश देने में पीछे नहीं रहे। मैराथन में दौड़ने वाले 85 साल के पूर्व डीजीपी आरआर वर्मा का हौसला भी देखने वाला था। उनका कहना था कि हमारा हिमाचल नशा मुक्त होना चाहिए। इस दौड़ में यही संदेश लेकर आया हूं। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी तभी होगी, जब युवा पीढ़ी इस नशे से दूर होगी। दौड़ में 57 दिव्यांग बच्चों के साथ-साथ 75 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक भी दौड़े।
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