नागों की क्रीड़ास्थली रहा है संपूर्ण हिमाचल

By: Jun 6th, 2018 12:05 am

संपूर्ण हिमाचल नागों की क्रीड़ास्थली रहा है। चंबा में मघोड, कुल्लू में तांडी और जम्मलू, सतलुज की उपत्यका में नातड़ी, मंडी करसोग में माहूं सिरमौर में नौना नाग अत्यंत बलवान व शक्तिशाली शासक थे…

नाग: किन्नर-किरात के समकालीन ही एक और जाति भारत में निवास करती थी, जिसका सारे प्रदेश में प्रभुत्व कायम था। यह नाग जाति थी। नाग प्राचीन साहित्य की बहुचर्चित अनार्य जाति है। वेदों में, पुराणों में, गाथाओं और परंपराओं में, समुद्रगुप्त की प्रशस्ति में तथा अभिलेखों में, बौद्ध, ब्राह्मण तथा जैन साहित्य में और लोक साहित्य में इसका उल्लेख मिलता है। नाग जाति साकार भी रही और निराकार भी बनी। मनुष्य भी रही और देवत्व भी पा गई। सारे भारत में किसी समय नाग बसते थे। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक तथा पंजाब से लेकर असम तक नाग राज्य था। किन्नौर के कोठी ग्राम में उनके स्मृति चिन्ह हैं। नर्वदा क्षेत्र में भी और लंका के महावंश में नागों के बसने का उल्लेख मिलता है। महाभारत और बौद्ध साहित्य तो नागों के वर्णन से भरा पड़ा है। महात्मा बुद्ध और महावीर के समकालीन विंबिसार और अजातशत्रु दोनों शेषनाग के वंश के थे। विष्णु पुराण में 12 प्रधान नागों का वर्णन मिलता है। जिनके नाम हैं- शेष, वासुकि, तक्षक, शंख, श्वेत, महापद्म, कंवर, अखतर, एलापत्र, नाग, ककेटिक और धनंजय। साधारणतः आठ नाग प्रसिद्ध हैं। उनके नाम हैं— अनंत, (शेष का दूसरा नाम) पद्म, शंख, शंकुवल, वासुकि, ककेटिक, एलापत्र और तक्षक। राजतरंगिणी के अनुसार ककेटिक तो कश्मीर राजवंश का संस्थापक था। उधर, तक्षक को खांडव वन में इंद्रप्रस्थ के निकट आर्यों ने हराकर हिमाचल की पहाडि़यों में शरण लेने के लिए मजबूर किया। बाद में तक्षक ने हिमालय में ही नाग राज्य स्थापित किया। महाभारत में एक और वर्णन से पता चलता है कि पांडव पुत्र अर्जुन ने नागराज वासुकि की उलूपी नामक नाग कन्या से गंधर्व विवाह किया। चंबा, कुल्लू आदि क्षेत्रों में आज तक वासुकि की उलूपी नामक नाग की उपासना की जाती है। इसके अलावा अर्जुन की पत्नी चित्रांगदा, राम के पुत्र कुश की पत्नी रमणी, शूरसेन के अधिपति शूर की माता, उग्रसेन की रानी, रावण के पुत्र मेघनाथ की पत्नी सुलोचना आदि-आदि नाग वंशजा थीं। संभवतः भीम की पत्नी और घटोत्कच की माता हिडिंबा भी कुल्लू की ही कोई नाग पुत्री थी। यहां यह लिखना जरूरी है कि पुराणों में जो नाग राजाओं का वर्णन मिलता है, उसमें यह साफ है कि मथुरा, विदिशा आदि स्थानों पर चौथी और पांचवीं शताब्दी तक नाग राज्य रहा। अंत में गुप्त वंश ने इन्हें परास्त किया। किन्नर-किरातों की भांति नागों को हिमाचल में परास्त करने वाले ‘खश’ ही थे। जिन नागों में आत्म समर्पण किया वे खश जाति में विलीन हो गए। संपूर्ण हिमाचल नागों की क्रीड़ास्थली रहा है। चंबा में मघोड, कुल्लू में तांडी और जम्मलू, सतलुज की उपत्यका में नातड़ी, मंडी करसोग में माहूं, सिरमौर में नौना नाग अत्यंत बलवान व शक्तिशाली शासक थे।

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