परियों के देश जैसा लगता है ‘ चितकुल ’ गांव

By: Jun 6th, 2018 12:05 am

घाटी सांगला के आगे खुलती है और चितकुल तक पेड़ों से आच्छादित ढलानों वाली है। घाटी के अंतिम आवासीय गांव हरे-भरे खेतों और ऊंचे पर्वत शिखरों से घिरा ‘चितकुल’ परियों के देश जैसा है। छोटे-छोटे विलक्षण घर, मंदिर, गोम्पा और लोग ‘शंगरी- ला’ के पूर्ण प्रतिबिंब मंत्र मुग्ध कर देते हैं…

बैंटनी

विरासत में मिला यह भवन तब के सिरमौर के महाराजा का गर्मियों का निवास महल था, जिसका निर्माण 1880 ई. में हुआ था। इसका नाम गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक के नाम से लिया गया है, जो समीपवर्ती ग्रैंड होटल के संकुल में रहता था। इसलिए पहाड़ी को ही बैंटनी नाम से जाना जाता है। इससे पूर्व वहां कैप्टन गॉर्डन के स्वामित्व की एक जीर्ण-शीर्ण झोंपड़ी थी, जो उस स्थान पर खड़ी है। यह सुंदर भवन, शिखर शिल्प शैली का एक रोचक मिश्रण है, जो कि डयोड़ी के ऊपर पैगोड़ा रूपी रचना और लकड़ी के भरपूर प्रयोग को दर्शाता है। भवन की चारदीवारी ढले हुए लोहे की आड़ द्वारा की गई है, जिसे नाहन के प्रसिद्ध ढलाई के कारखाने में तैयार किया गया था। सरकार ने 26 जुलाई, 2011 ई. को माल स्थित 130 वर्ष पुराने ऐतिहासिक बैंटनी भवन के अधिग्रहण के आदेश दिए, जिससे किसी भी ऐसे अभियान को विराम लग गया, जिसका परिणाम इस बहुमूल्य ब्रिटिश धरोहर को व्यावसायिक उद्यम के लिए खो देना था।

बास्पा घाटी

बास्पा घाटी जिसे सांगला घाटी के नाम से भी जाना जाता है, किन्नौर की घाटियों में से सबसे सुंदर में से एक है। यह कड़छम से शुुरू होती है, जहां पूर्व दिशा से आ रही बास्पा नदी सतलुज में मिलती है। बास्पा घाटी के लिए सड़क नदी के संगम स्थान से हिंदोस्तान – तिब्बत मार्ग की शाखा के रूप में निकलती है और दक्षिण दिशा की ओर मुड़ते हुए पुल द्वारा सतलुज पार करके कड़छम पहुंचती है। घाटी सांगला के आगे खुलती है और चितकुल तक पेड़ों से आच्छादित ढलानों वाली है। घाटी के अंतिम आवासीय गांव हरे-भरे खेतों और ऊंचे पर्वत शिखरों से घिरा ‘चितकुल’ परियों के देश जैसा है। छोटे-छोटे विलक्षण घर, मंदिर, गोम्पा और लोग ‘शंगरी- ला’ के पूर्ण प्रतिबिंब मंत्र मुग्ध कर देते हैं।

    अनीस विला

यह बंगला प्रसिद्ध लेखक सलमान रशदी के दादा मोहम्मद-उई-द्दीन खलीकी ने 1940 ई. में सोलन नगर में बनाया था। यह संपत्ति उस समय खबरों में रही, जब इस विवादित संपत्ति पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सलमान रुशदी के अधिकारों का समर्थन किया। अब यह संपत्ति सलमान रुशदी की है। अनीस विला बघाट के शासक राजा दुर्गा सिंह के महल के समीप 2439 वर्ग मीटर के प्लॉट पर स्थित है।

बजौरा

यह कुल्लू शहर से 15 किलोमीटर पहले आता है। यह बशेशवर महादेव के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जिसे 8वीं शताब्दी में बनाया गया था।

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