पर्यटन की राह पर विकास

By: Jun 16th, 2018 12:05 am

पुनः एशियन विकास बैंक ने हिमाचल को बतौर पर्यटन राज्य अंगीकार करते हुए उन्नीस सौ करोड़ की परियोजनाओं पर सहमति दी है। पर्यटन अधोसंरचना केवल चंद ईंटें नहीं, बल्कि भविष्य में प्रदेश के अस्तित्व की काबीलियत है। कहने को मौजूदा दौर में भी हिमाचल अपनी आबादी से तीन गुना अधिक सैलानी आकर्षित कर रहा है, लेकिन इन बहारों की खबर पैमानों को नहीं या इस गिनती से हटकर जो क्षमता चाहिए, उसे हासिल करने के लिए माकूल माहौल, व्यवस्था और अधोसंरचना की चुनौती सामने है। ऐसे में जयराम सरकार के संकल्पों में, एडीबी से मिल रही मदद पूरे पर्यटन के मायने बदल सकती है और यही निरंतरता हिमाचल को विश्व स्तरीय डेस्टीनेशन बना पाएगी। जाहिर है योजनाओं-परियोजनाओं के खाके में पर्यटन के रास्ते, शहरी और ग्रामीण विकास को भी संबल मिल रहा है। कई नागरिक सुविधाएं इसी बहाने मूर्त रूप लेंगी, तो शिमला के खाके में नौ शहर भी संवर रहे हैं। नई कल्पना में स्थायी ढांचा, शहर से गांव तक कबूल है और प्रदेश के पढ़े-लिखे समाज की महत्त्वाकांक्षा में इस तरह की कोशिशों की हमेशा प्रशंसा हुई है। विकास से कुछ आगे निकलते सपने, अगर यथार्थ में कुछ सार्थक करते हैं, तो राज्य की छवि में पर्यटन का वसंत हर दिशा में अग्रसर होगा। उदाहरण के लिए हिमाचल के पर्यटक, धार्मिक व महत्त्वपूर्ण शहरों के प्रवेश द्वारों का सौंदर्यीकरण अति आवश्यक है। बिलासपुर से शिमला की एंट्री या नाहन का प्रवेश हो, इन्हें सुधारने की जरूरत है। इसी तरह मेगा परियोजना के वास्तविक आधार को प्रस्तावित नेशनल हाई-वे या फोरलेन मार्गों के साथ जोड़कर भी देखना होगा, वरना पर्यटन के कई केंद्र पहले भी संसाधनों का दुरुपयोग कर चुके हैं। नूरपुर में दो बार पर्यटन इकाइयां शून्य साबित हुईं, तो कई कैफेटेरिया औचित्यहीन होकर पर्यटन परिदृश्य से मिट गए। ऐसे में पर्यटन सुविधाओं की गुंजाइश में सियासी फरमाइश को नजरअंदाज नहीं किया, तो रोड मैप पूरी तरह सक्षम नहीं होगा। इससे पहले जिस तरह पर्यटक सूचना केंद्र अवांछित स्थलों पर विकसित किए गए, उससे सैलानियों को कोई लाभ नहीं मिला। प्रदेश में ऐसे कई धरोहर गांव व ऐतिहासिक स्थल हैं, जहां समग्र विकास की आवश्यकता है। प्रदेश के साथ सिने पर्यटन का खासा महत्त्व है और अगर हेलि टैक्सी सेवाओं के माध्यम से अनछुए क्षेत्र जुड़ते हैं, तो बालीवुड के लिए हिमाचल की पृष्ठभूमि सौगात की तरह हो जाएगी। एडीबी वित्तीय पोषण से शहरी विकास का रंगमंच भी सज रहा है और जहां शिमला का पात्र अपनी विशिष्टता बयान कर रहा है। यह दीगर है कि आज के दौर में शिमला शहर भी पर्यटन के आदर्श मजबूत नहीं करता और जिस तरह इस बार जल संकट उत्पन्न हुआ, सर्वप्रथम राजधानी के लिए जलापूर्ति परियोजना की आवश्यकता है। दूसरी ओर शिमला के प्रतिबिंब में हिमाचल को देखने की जिज्ञासा को अगर समझें, तो बाकी शहरों में सुधार की काफी गुंजाइश है। खासतौर पर माल व रिज की तर्ज पर यातायात प्रतिबंधित क्षेत्र विकसित करने की जरूरत है, तो इसी तरह गेयटी थियेटर जैसे प्रेक्षागृह भी बनाने होंगे। शिमला कभी अपनी टांगों पर चलता था, लिहाजा पर्यटन की अधोसंरचना में यह दम पैदा किया जाए कि कम से कम वाहनों का इस्तेमाल हो। पर्यटन को हर विभाग की गतिविधियों से जोड़ना होगा और इसी के साथ जनता को इस दिशा में आवश्यक शिष्टाचार का निर्वहन करना होगा, ताकि पर्यटन की अनुभूति में संस्कृति के रंग भी समाहित रहें। हिमाचल में सबसे बड़ी चुनौती विभिन्न क्षेत्रों की दृश्यावलियों तथा पर्यटन स्थलों को अनावश्यक निर्माण के बाहुपाश से बचाए जाने की रहेगी। इसके लिए ग्राम एक नगर योजना कानून को सशक्त करके पूरे राज्य में अमल में लाए जाने की जरूरत है। बेशक एशियन विकास बैंक के मार्फत पर्यटन परियोजनाओं का आकार दिखाई दे रहा है, लेकिन उद्योग के हित में निजी निवेश या पीपीपी मोड के तहत सहभागिता बढ़ाने के लिए पारदर्शी पर्यटन नीति चाहिए।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App