पेयजल वितरण को की-मैन जरूरी नहीं

By: Jun 20th, 2018 12:06 am

अर्की के एक्सईएन जोगिंद्र ने बनाया ऑटोमेटिक सप्लाई सिस्टम

सोलन— देश भर में पंप चालकों की कमी से जूझ रहे सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग व निजी कंपनियों के लिए एक हिमाचल अधिकारी द्वारा किया गया आविष्कार वरदान साबित हो सकता है। आईपीएच के एक अधिशाषी अभियंता ने पेयजल वितरण के लिए ऐसा आविष्कार किया है, जिसमें पंप चालक (की मैन) की जरूरत नहीं पड़ती तथा सब कार्य ऑटोमैटिक ढंग से ही हो जाता है। इस रिसर्च का एक अन्य प्रमुख पहलू यह भी है कि यह सारा सिस्टम सोलर पावर से चलता है। इस आविष्कार का सफलतापूर्वक प्रयोग सोलन जिला के अर्की उपमंडल में आईपीएच की पेयजल स्कीम कालर में किया गया है। इस सफलता के बाद पूरी फाइल प्रदेश सरकार को भेज दी गई है, ताकि इस संदर्भ में वृहद योजना का खाका तैयार किया जा सके। आईपीएच विभाग के अर्की मंडल में कार्यरत अधिशाषी अभियंता जोगिंद्र चौहान ने यह आविष्कार किया है। उन्होंने इस रिसर्च को सोलन पावरड़ ऑटोमाइज्ड वाटर डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम इन हिल टेरेन का नाम दिया है। देश के पहाड़ी क्षेत्रों में पेयजल का आनुपातिक वितरण आरंभ से ही एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है। भौगोलिक परिस्थितियों के कारण पेयजल आपूर्ति के लिए प्रेसर बनाकर वितरण करने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पेयजल वितरण के लिए एक पंप ऑपरेटर या की मैन की हर स्कीम में आवश्यकता रहती है। कई बार की मैन को वितरण स्थल तक पहुंचने में ही कई घंटे लग जाते हैं और जनता की शिकायतों से सभी रोज दो-चार होना पड़ता है। विडंबना यह है कि हिमाचल सहित पूरे देश में अब निम्न श्रेणी के कर्मचारियों की संख्या घटती जा रही है। हिमाचली अधिकारी की इस दिशा में की गई खोज एक नई क्रांति ला सकती है। सोलर पावर से संचालित यह सिस्टम नौ से 12 वॉट की बैटरी से स्वचालित होता है। हालांकि खोज को पूरी सफल बनाने के लिए इसमें लगे सभी वॉल्व को चीन से मंगवाया गया है, ताकि यह सोलर पावर से स्वयं ही खुल जाए व आपूर्ति समयसारिणी के अनुसार स्वतः ही बंद हो जाए। एक मोटर से 100 परिवारों को करीब छह घंटे तक बिना किसी की मैन के निर्बाध आपूर्ति की जा सकती है। अधिकारी जोगिंद्र चौहान के नेतृत्व में अर्की के कालर गांव में इस वितरण सिस्टम को 18 मार्च, 2018 को लगाया गया था। विशेष बात यह है कि इस पेयजल योजना को रोज संचालित करने के लिए एक ईश्वर नामक बेलदार की ड्यूटी लगाई गई थी, जिसे अब वहां से हटाकर अन्य स्कीम में लगाया गया है। सोलर पावर से स्वचालित यह पेयजल वितरण खोज पूरे राष्ट्र के लिए एक प्रेरणा व वरदान साबित हो सकती है। अधिशाषी अभियंता जोगिंद्र चौहान ने कहा कि इस योजना से खर्च भी अपेक्षाकृत कम है और मानव संसाधनों की भी जरूरत नहीं है, क्योंकि यह सोलर पावर से स्वचालित है। बहरहाल, सफलतापूर्वक कार्यान्वयन के बाद फाइल सचिवालय को भेजी गई है।


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