पौंग में परिंदे आते हैं…मेहमान नहीं

By: Jun 23rd, 2018 12:05 am

 नूरपुर —पौंग झील साइबेरिया के बेजुबान पक्षियों को हर साल अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रही ही, परंतु यह झील आज तक देशी-विदेशी पर्यटकों को लुभाने में कामयाब नहीं हो पाई है। कारण जो भी रहे हो। हकीकत यही है कि चंद बेजुबान ही इसे अपने करलवों से कुछ महीने गुलजार कर पाते हैं। नीले और गहरे रंग की आंखें तो हर किसी को आकर्षित करती है, लेकिन नीले गहरे रंग के पौंग झील के पानी पर आज तक किसी हनी सिंह ने ‘आज ब्लू है पानी- पानी’ नहीं  गाया। यह झील आज तक पर्यटन की दृष्टि से विकसित नहीं हो पाई और इसके आड़े हमेशा  सियासत व सियासी जुमले ही आए है। आप कहना चाहें, तो कह सकते हैं कि इतना टन तो पौंग में मछली उत्पादन नहीं हुआ, जितना टन पढ़ें योजनाएं की घोषणाएं विभिन्न सरकारें कर चुकी हैं। पर्यटन के तौर पर इसे संवारने के लिए किसी ने कश्मीर की डल झील की तर्ज पर यहां शिकारे चलाने की बातें कहीं, तो किसी ने फिश,क्वेरियम, स्नेक पार्क बनाने, रैंसर टापू के अलावा दो अन्य टापुओं को विकसित करने के अलावा न जाने क्या-क्या, लेकिन सियासी बयान सरकारें बदलते ही फाइलों में दब के रह गए। अभी हाल ही में यहां पर्यटकों को लुभाने के लिए क्रूज चलाने की योजना की बात भी उठी व अब इस झील में पर्यटन को बढ़वा देने के लिए सी प्लेन चलाने की योजना पर विचार हो रहा है। इन सभी योजनाओं की बात तो छोड़े प्रदेश सरकार यहां आज तक पर्यटकों को झील में सैर-सपाट करवाने के लिए एक मोटरवोट तक नहीं उपलब्ध करवा सकी। यहां लोग सीधे पैसे देकर झील के रमणीय नजारे का लुत्फ  उठा सके। पौंग झील को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए जिला पर्यटन अधिकारी मधु चौधरी बताया कि विभाग पौंग झील को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने को प्रयासरत है और इसे विकसित करने के लिए ईको टूरिज्म सोसायटी बनी है, जिसमें विभिन्न विभागों के व कुछ प्रशासनिक अधिकारी है तथा सभी की सहमति से पर्यटन को बढ़ावा देने के निर्णय लिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस झील में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सी प्लेन चलाने की प्रोपोजल बनाई है,  जिस पर सरकार ही निर्णय लेगी।


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