फिर एक धरना

By: Jun 15th, 2018 12:05 am

राजेश कुमार चौहान

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी ही सरकार की डोर-टू-डोर राशन योजना को मंजूरी देने और सरकार के कामकाज का बहिष्कार करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग के लिए एक बार फिर से नए मुद्दे के लिए धरने पर हैं। माना कि केजरीवाल आमजन और दिल्ली की भलाई के लिए धरने-प्रदर्शन करते हैं, लेकिन क्या इनका यह तरीका सही है? इसका इनको विश्लेषण जरूर करना चाहिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना के आंदोलन से ही आम आदमी पार्टी अस्तित्व में आई थी। जब से यह अस्तित्व में आई है, तब से यह अलग-अलग अजीब कार्यप्रणाली से सुर्खियों में ही रही है। आप के संयोजक, मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तो धरनों-प्रदर्शनों के कारण सुर्खियों में रहकर अपनी जग हंसाई सोशल साइट्स पर भी खूब करवाते आए हैं। भारत की सत्ता और राजनीति के इतिहास में शायद दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ऐसे पहले मुख्यमंत्री होंगे, जो समय-समय पर अपनी मांगों को मनवाने के लिए धरने-प्रदर्शन करते आ रहे हैं, लेकिन एक मुख्यमंत्री का बार-बार धरने प्रदर्शन करना कितना उचित है? क्या सत्ता में रहते हुए केजरीवाल ऐसे फैसले नहीं ले सकते कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App