बिलासपुर में ‘फौजी मेरे देश के’

By: Jun 21st, 2018 12:05 am

 बिलासपुर —जिला भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय बिलासपुर द्वारा मासिक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम साहित्यिकारों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रविंद्र भट्टा ने की तथा मंच का संचालन इंद्र सिंह चंदेल द्वारा किया गया। कंचन कुमारी द्वारा मां की वंदना प्रस्तुत की गई। इस के उपरांत साहित्यकार जीतराम सुमन द्वारा मैं पर्यावरण हूं, अवतार सिंह कौंडल व कविता सिसोदिया ने मैं हूं एक भारतीय नारी व मुझे गर्व है स्वयं पर मैं हूं एक भारतीय नारी, बुद्धि सिंह चंदेल फौजी मेरे देश के, एसआर आजाद ने प्यारी बेच दूं दौलत पर, ये मेरे बस की बात नहीं, अमर नाथ धीमान अज तुसां ने इक गल गलाणी, नरैणू राम हितैषी ने दादा जी ने जिस पोते को उंगली पकड़कर चलना सिखाया, उसी पोते ने दादा जी को सबसे पहले पागला बताया, द्वारिका प्रसाद शर्मा ने देश के शासक नपुंसक बने हैं, रविंद्र भट्टा ने ओ दूर के मुसाफिर हमकों भी साथ ले-ले, हुसैन अली ने अंदाज कुछ अलग है मेरे सोचने का, प्रदीप गुप्ता ने क्या हुआ जो नहीं पूछते तुम्हें, अवतार कौंडल ने अल्फासों को अपने नजरिया बतलाने मैं निकला तुम्हें पहचान दिलाने व कंचन कुमारी, आदमी इक खिलौना है कविता सुनाई। इस अवसर पर जिला भाषा अधिकारी नीलम चंदेल ने सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कवि और लेखक समाज को सकारात्मकता का भाव देते है, जिससें समाज में संस्कृति, संस्कार व नैतिक मूल्यों का समावेश हो सके। उन्होंने सभी साहित्यकारों से कहा कि सरकार की नई योजना आज पुरानी राहों से को कार्यान्वित करने हेतु अपने-अपने क्षेत्र को इस योजना के अंतर्गत लाने हेतु सामग्री व सुझाव विभाग को सौंपे।


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