बुनियादी शिक्षा को सुधारें
स्वास्तिक ठाकुर, पांगी, चंबा
एक समाज के निर्माण में शिक्षा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। दुनिया भर के आज जो भी शांत, विकसित और खुशहाल देश हैं, उन्होंने अपने यहां शिक्षा के विकास में विशेष प्रयास किए हैं। हमारे देश और प्रदेश ने भी पराधीनता की बेडि़यों से मुक्त होने के तुरंत बाद से शिक्षा क्षेत्र में विकास के प्रयास शुरू कर दिए और उसके परिणाम आज सुस्पष्ट देखे जा सकते हैं। भारतवंशी न केवल भारत में, बल्कि दुनिया के हर कोने में अपनी प्रतिभा का जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि इस गौरवान्वित तस्वीर का एक स्याह पक्ष यह रहा है कि शिक्षा-दीक्षा के प्रसार की तमाम कोशिशों के बावजूद, अब तक देश के हर नागरिक तक अनिवार्य एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित नहीं हो पाई है। हालांकि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आज पर्याप्त संस्थान ज्ञान की लौ फैला रहे हैं, लेकिन बुनियादी शिक्षा की हालत आज भी चिंतनीय स्तर पर बनी हुई है। हिमाचल प्रदेश की स्थिति भी इस संदर्भ में कोई खास उत्साह नहीं जगाती। मसलन जरूरत के मुताबिक और कहीं-कहीं उससे भी ज्यादा विद्यालय खोल देने के बावजूद, प्रदेश का शिक्षा तंत्र गुणवत्तापरक शिक्षा के लक्ष्य से कोसों दूर खड़ा नजर आता है। आज भी कहीं किसी प्राथमिक विद्यालय में पर्याप्त अधोसंरचना नहीं है, तो कहीं अज्ञानता का अंधेरा मिटाने वाले शिक्षक की व्यवस्था नहीं हो पाई है। इसी कारण हाल में चंबा में एक विद्यालय में बच्चों को हड़ताल पर बैठना पड़ा। अतः सरकार से गुजारिश है कि अब तुष्टिकरण की सियासत को साधने के लिए नए विद्यालय खोलने के बजाय पहले से चल रहे विद्यालयों को आवश्यक सुविधाएं मुहैया करवाने पर ध्यान दे। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि बुनियादी शिक्षा के दम पर ही उच्च शिक्षा के शिखर खड़े हो पाएंगे।
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