मस्से से छुटकारे को एंथियोमेलिन इंजेक्शन दें

By: Jun 14th, 2018 12:05 am

मेरी गाय को मस्से/मोक्के हैं। मैंने उसे पांच-छह इंजेक्शन भी लगवाए, परंतु कुछ फर्क नहीं पड़ा, क्या करें?

– दिनेश, टैरेस, कांगड़ा

मस्से एक विषाणु जनित (वाइरल) बीमारी है, जो पैपीलोमा विषाणु से होता है। इस विषाणु का संक्रमण किसी पशु में शरीर पर जख्म से होता है, जब यह पशु किसी संक्रमित पशु के सीधे संपर्क से आता है। यह रोग पूरे विश्व में हर प्रजाति के पशुओं में होता है। गाय, भैंस, घोड़ा, भेड़, बकरी, कुत्ता, हिरण आदि। ये मस्से बिना किसी इलाज के भी कई बार पांच-छह महीने से 18 महीने में अपने आप ठीक हो जाते हैं, परंतु ये पशु को बहुत कमजोर कर देते हैं।

इस बीमारी के कई इलाज हैं। कई पशु एक इलाज से ठीक हो जाते हैं, तो कई दूसरे इलाज से ठीक हो जाते हैं। हम यह नहीं कह सकते हैं कि किसी एक इलाज से पशु 100 प्रतिशत ठीक हो जाते हैं। कई वैज्ञानिकों ने मस्से के देसी इलाज भी बताए हैं। वह इलाज मैं इस लेख पर नहीं लिख पाऊंगा, क्योंकि अभी तक उन इलाजों की वैज्ञानिक प्रमाणता नहीं है। मुख्यतः मस्से के निम्नलिखित इलाज हैं।

इंजेक्शन एंथियोमेलिन एक दिन छोड़ कर छह टीके लगते हैं।

आटो हीम थैरेपी इसमें पशु का 15-20 एमएल खून निकालकर आधा व आधा  आईएम व आधा एस/सी लगाते हैं। यह ज्यादातर हफ्ते में एक बार पांच से छह हफ्ते लगातार लगाते हैं।

ओटोजिनस वैक्सीन इसमें मस्सों के टुकड़े लेकर वैक्सीन बनाई जाती है। यह आप अपने पशु चिकित्सक से संपर्क कर बनवा सकते हैं। इस वैक्सीन के भी पांच-छह इंजेक्शन एक दिन छोड़कर लगेंगे।

टिंकचर थूजा 200 सी एक एमएल सुबह व एक एमएल शाम को जीभ के नीचे एक हफ्ता व उसके बाद एक एमएल दिन में एक बार अगले तीन हफ्ते के लिए। साथ ही थूजा क्रीम मस्से पर लगाते हैं।

टिंकचर थूजा दो एमएल में दो एमएल डिस्टिलड पानी मिलाएं व एस/सी लगवाएं। साथ ही टिंकचर सल्फर दो एमएल में दो एमएल डिस्टिलड पानी मिलाकर एस/सी लगवाएं। दोनों इंजेक्शन अलग-अलग लगवाएं। यह सप्ताह में एक बार लगेंगे व चार सप्ताह लगेंगे।

उपरोक्त इलाज करवाने के बाद आप 1/1/2 से दो महीने इंतजार करें। आप देखेंगे कि मस्से जो पहले लाल थे, धीरे-धीरे काले पड़ जाएंगे।  आप इन्हें हल्के से खींचेंगे, तो ये निकल जाएंगे। अगर थोड़ा खून निकलता है, तो साफ कर हाई मैक्स क्रीम लगाएं। जैसे मैंने कहा कि मस्से एक संक्रामक बीमारी है इसीलिए अगर एक पशु को यह रोग होता है तो उस पशु को बाकी पशुओं से अलग बांधें व खिलाएं-पिलाएं जब तक यह पशु पूर्णतयः ठीक नहीं हो जाता है।

डा. मुकुल कायस्थ

वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, उपमंडलीय पशु चिकित्सालय पद्धर(मंडी)

फोनः 94181-61948

नोट : हेल्पलाइन में दिए गए उत्तर मात्र सलाह हैं।

Email: mukul_kaistha@yahoo.co.in

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