महिमा लाइब्रेरी में 60 हजार किताबें

By: Jun 25th, 2018 12:05 am

 नाहन —रियासत काल के दौरान व वर्तमान में प्रदेश के सबसे पुराने पुस्तकालयों में शुमार जिला सिरमौर के नाहन स्थित महिमा पुस्तकालय में अध्ययनरत छात्रों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस पुस्तकालय में करीब 60 हजार से अधिक पुस्तकें उपलब्ध हैं। यहां पर पुस्तकों का भंडार तो है, लेकिन यहां पर सुविधाओं का अभाव अकसर देखा जा सकता है। वर्तमान में हालत यह है कि पुस्तकालय में केवल 90 पाठकों के बैठने की ही सुविधा है। जानकारी के मुताबिक महिमा पुस्तकालय में प्रतिदिन करीब 130 से अधिक पाठक अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। कई बार तो पुस्तकालय में बैठने के लिए कुर्सी के पीछे धक्का-मुक्की तक की नौबत आ जाती है। वर्ष 1927 में तत्त्कालीन सिरमौर रियासत के महाराजा की पत्नी ने अपनी बेटी महिमा के पुस्तकों के प्रति रुचि को देखते हुए महिमा पुस्तकालय की स्थापना की थी। 1958 में महिमा पुस्तकालय हिमाचल प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के अधीन आ गई थी। लंबे समय तक महिमा पुस्तकालय का दर्जा राज्य स्तरीय पुस्तकालय का रहा, परंतु सरकार की लगातार बेरुखी के चलते महिमा पुस्तकालय वक्त के थपेड़ों के साथ जूझते-जूझते अब बूढ़ा हो चुका है। ऐसे में इसका दर्जा घटाकर जिला पुस्तकालय कर दिया गया है। महिमा पुस्तकालय नाहन में वर्तमान में करीब 60 हजार पुस्तकों का भंडार है। इन पुस्तकों में लगभग सभी भाषाओं की पुस्तकें शामिल हैं। सबसे बड़ी खासियत यह है कि महिमा पुस्तकालय नाहन में 75 पांडुलिपियां ऐसी हैं जो कई दशकों पुरानी हैं। इन पांडुलिपियों को पुस्तकालय के स्टॉफ ने बखूबी संभालकर रखा है। महिमा पुस्तकालय में 1100 सदस्य हैं। पाठकों के लिए पुस्तकालय में रियासत काल से बने केवल सात कक्ष से काम चलाया जा रहा है। यह भवन हैरिटेज भवन की श्रेणी में शामिल होने की उम्र लगभग पूरी कर चुका है। पुस्तकालय में करीब 40 मैगजीन, नौ समाचार पत्र के अलावा विभिन्न प्रकार की पुस्तकें पाठकों के लिए उपस्थित हैं। महिमा पुस्तकालय की पाठक व प्रशासनिक सेवा की तैयारियां कर रही उषा सूर्यवंशी का कहना है कि पुस्तकालय में बैठने की क्षमता बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कई ऐसी पुस्तकें यहां उपलब्ध हैं जो न तो नेट पर कहीं उपलब्ध होती हैं और न ही मार्केट में। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय में अभी सुविधाओं का अभाव है। लड़कियों व महिलाओं के लिए अलग से न तो शौचालय की सुविधा है न ही रीडिंग रूम है। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय का समय धर्मशाला, मंडी व सोलन के पुस्तकालयों की तर्ज पर कम से कम 12 घंटे का किया जाना चाहिए।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App