यह कैसा हिमाचल ?

By: Jun 19th, 2018 12:05 am

स्वास्तिक ठाकुर, पांगी, चंबा

कसौली के परवाणू में दो गुटों में खूनी झड़प, एक शापिंग मॉल में युवतियों के साथ दुर्व्यवहार और बद्दी में तीन युवकों पर जानलेवा हमला। लगभग एक ही समय में घटने वाली ये गंभीर घटनाएं इस बात की तसदीक करने के लिए पर्याप्त हैं कि देवभूमि अपनी बुनियादी पहचान को खो रही है। एक समय था जब हिमाचल की ईमानदारी, शराफत और शांतिप्रियता की राज्य से बाहर मिसाल दी जाती थी। मगर बदलती और अशांत फिजाओं के कातिल हुए इरादे जिस कद्र डरा रहे हैं, ऐसे में शांतिप्रिय हिमाचल की मूल पहचान को सहेजने वालों का भयभीत होना स्वाभाविक ही है। हम नहीं कहते कि बदले मिजाज का बदरूप पहलू ही अब हिमाचली पहचान बन चुका है, लेकिन समाज में घटने वाली इन इक्का-दुक्का घटनाओं से यदि प्रभावी ढंग से न निपटा गया, तो ऐसे असामाजिक तत्त्वों के हौसले बढ़ते ही जाएंगे। अतः सरकार को यह समझना होगा कि समय रहते इन हालात से प्रभावी ढंग से निपटा जाए। इसके लिए कानून एवं पुलिसिया व्यवस्था को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष होकर काम करने दिया जाए। वरना कोटखाई में दुष्कर्म एवं हत्या या वनरक्षक होशियार सिंह मामले में अनुचित दखल देकर पिछली सरकार को क्या कीमत चुकानी पड़ी थी, इसका भी अंदाजा वर्तमान प्रदेश सरकार को भली-भांति होगा।

 


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