यूएन में अकेला पड़ा पाक

By: Jun 22nd, 2018 12:05 am

कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट पर उठे सवाल रिजेक्ट करने वाले देशों में भारत के साथ-साथ छह अन्य देश, पाकिस्तान संग कोई नहीं

नई दिल्ली— संयुक्त राष्ट्र की कश्मीर रिपोर्ट पर आपत्ति उठाते हुए रिजेक्ट करने वाले देशों में भारत के साथ-साथ छह अन्य देश शामिल हैं। ह्यूमन राइट्स हाई कमिश्नर की जनरल डिबेट के दौरान जब हाई कमिश्नर जेद राद अल हुसैन की लिखी रिपोर्ट को बहस के लिए रखा गया, तब एशिया से अफगानिस्तान और भूटान समेत अफ्रीका, यूरेशिया और लैटिन अमरीकी देशों ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए रिजेक्ट करने का फैसला किया है। हालांकि इस रिपोर्ट पर बहस के दौरान पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र में पर्मानेंट रिप्रेजेंटेटिव फारुख अमील ने पाकिस्तान की ओर से अपील की कि जम्मू-कश्मीर में ह्यूमन राइट्स के मामलों की जांच करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की समिति को भेजा जाए। हालांकि इस्लामिक देशों की तरफ से बोलते वक्त पाक के रिप्रेजेंटेटिव अमील ने सिर्फ अपनी बात दोहराई। अमील ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की कश्मीर रिपोर्ट इशारा करती है कि ह्यूमन राइट्स संस्था को जम्मू-कश्मीर में अगला उपयुक्त कदम उठाने की जरूरत है। यूएन की इस रिपोर्ट पर पाकिस्तान के रुख के समर्थन में कोई देश सामने नहीं आया। रिपोर्ट को जहां एशियाई देशों में अफगानिस्तान और भूटान ने रिजेक्ट किया, वहीं लैटिन अमरीकी देशों में क्यूबा और वेनेजुएला ने भी रिपोर्ट को रिजेक्ट करने का फैसला लिया है। अफ्रीका से मॉरीशस और यूरेशिया से बेलारूस ने कश्मीर रिपोर्ट को रिजेक्ट किया है। इनके अलावा भी कई देशों ने संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट को पेश करने के समय और तथ्यों पर सवाल खड़े किए।  लिहाजा, यूएन में भारत के रिप्रेजेंटेटिव अशोक मुखर्जी का मानना है कि ह्यूमन राइट्स काउंसिल में किसी प्रस्ताव को प्रभावित करने में भारत की स्थिति पाकिस्तान से खराब है। गौरतलब है कि भूटान के यूएन में रिप्रेजेंटेटिव किंगा सिंग्ये ने तर्क दिया कि ह्यूमन राइट्स हाई कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में आतंकवाद के मुद्दे को नहीं छुआ है। लिहाजा, रिपोर्ट को जमीनी हकीकत से दूर बताते हुए भूटान में रिपोर्ट के आधार पर कोई कदम नहीं उठाने की सलाह दी है। वहीं मॉरीशस के रिप्रेजेंटेटिव इस्राह्यानंदा धल्लादू ने भारत के पक्ष में खड़े होते हुए दलील दी कि कश्मीर पर किसी तीसरी पार्टी की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है। इस रिपोर्ट को लिखने वाले ह्यूमन राइट्स हाई कमिश्नर जेद राद अल हुसैन जॉर्डन के डिप्लोमैट हैं और हाल ही में उन्हें पाकिस्तानी हुर्रियत के नेता सैय्यद फैज नक्शबंदी और कुछ पाकिस्तानी नेताओं के साथ देखा गया था।


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