राजा खड़क चंद ने किया मंडी पर आक्रमण

By: Jun 20th, 2018 12:05 am

जब खड़क चंद हथावत में पहुंचा तो उसे पता चला कि मियां जगत चंद अपने नातेदार राजा मंडी के पास सहायता के लिए गया हुआ है। उसने मंडी पर भी आक्रमण कर दिया। राजा जालिम सेन (1826-39) नगर को छोड़ व्यास नदी के पार चला गया…

सन् 1832 ई. में संसारू वजीर की मृत्यु हो गई और इसके पश्चात राज्य की स्थिति और भी बिगड़ गई। अतः उसी वर्ष सर जॉर्ज रसल क्लार्क (पालिटिकल एजेंट अंबाला) राज्य की स्थिति का जायजा लेने के लिए बिलासपुर गया। उसने राजा को सलाह दी कि वह कुशल प्रशासन चलाने के वजीर संसारू के पुत्र विशन सिंह को अपना वजीर नियुक्त करे और अपने नातेदारों से समझौता कर ले। राजा इसके लिए मान गया। क्लार्क ने राजा को यह भी सलाह दी कि बिलासपुर के सतलुज पार के जिस भाग का 6000 रुपया राजकर के तौर पर महाराणा रणजीत सिंह को देना पड़ता है, उसे वह बराबर देता रहे, जिससे वह भाग महाराजा के हाथ में जाने से बचा रहे। सन् 1835 ई. में खड़क चंद ने अपने राज्य का दौरा किया। जब वह हथावत में पहुंचा तो उसे पता चला कि मियां जगत चंद अपने नातेदार राजा मंडी के पास सहायता के लिए गया हुआ है। उसने मंडी पर भी आक्रमण कर दिया। राजा जालिम सेन (1826-39) नगर को छोड़ व्यास नदी के पार चला गया। एक पक्ष (15 दिन) तक नगर पर खड़क चंद का अधिकार रहा। जब जालिम सेन से मियां जगत चंद को समर्थन न देने का वचन ले लिया तब वह मंडी से लौट आया। वह राजा इतना दुराचारी था कि उसकी एक सिरमौरी रानी ने उसके विरुद्ध पालिटिक्ल एजेंट से शिकायत कर दी थी। मियां लोग भी शिकायत लेकर एजंेट क्लार्क के पास पहुंचे। उसने राजा को अंबाला बुलाया। परंतु वहां पर राजा ने मियां लोगों की कुछ ऐसे ढंग से शिकायत की, जिससे क्लार्क यह समझा कि सारा दोष मियां लोगों का है। उसने उन लोगों को भी अपने पास बुलाया और दोनों में समझौता कराया। राजा ने उन लोगों की जागीरें वापस कर दीें और मियां जगत चंद को भी हथावत से वापस बुला लिया। जब खड़क चंद अंबाला में था उन दिनों वहां पर चेचक का रोग फैला हुआ था। राजा को भी यह रोग हो गया। राजा तुरंत बिलासपुर चला गया और 27 मार्च, 1839 को उसकी मृत्यु हो गई। इस राजा के समय में दो प्रसिद्ध यूरोपीय यात्री बिलासपुर होते हुए गए थे। इनमें एक जर्मन था। उसका नाम बैरन हेगल था। वह बिलासपुर सन् 1835 में गया। दूसरा एक अंग्रेज यात्री था। उसका नाम जीटी वीने था। वह जून 1835 और मार्च 1839 में बिलासपुर आया। इन दोनों की यात्रवलियों से राजा खड़क चंद के समय के हालात का पता चलता है।

राजा जगत चंद (1839-1857 ई.) : खड़क चंद के कोई पुत्र नहीं था। मियां जगत चंद ने आकर राजा की अंत्येष्टि की। अब यह निश्चय करना आवश्यक था कि राज्य का उत्तराधिकारी कौन हो। इसलिए अंबाला के पालिटिकल एजेंट जॉर्ज रसल क्लार्क को संदेश भेजा गया। वह तुरंत बिलासपुर चला आया। सिरमौर के राजा फतह प्रकाश (1815-50) हिंदूर का राजा राम सिंह (1788-1848) और बाघल का राणा भी बिलासपुर आए। राजा खड़क चंद की तीन रानियां थीं।


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