राजा खड़क चंद 11 वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठा

By: Jun 13th, 2018 12:05 am

राजा खड़क चंद ग्यारह वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठा। इस राजा का राज्य काल कहलूर- बिलासपुर के इतिहास में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण तथा काला अध्याय समझा जाता है। राजा निकम्मा व्यक्ति था और सदा बुरे आदमियों की संगत में रहता था। उसे शराब की भी लत थी और वह महलों में मस्त रहता था…

सन् 1814 ई. में गोरखों तथा अंग्रेजों के बीच युद्ध आरंभ हुआ। राजा राम सिंह हिंदूर, बारह और अठारह ठकुराइयों के शासकों ने भी गोरखों के विरुद्ध अंग्रेजों से मदद मांगी। अंग्रेजी सेना डेबिड ऑकटरलोनी की कमान में नालागढ़ होती हुई मलौण पहुंची। वहां पर एक ओर से गोरखा और महान चंद की सेनाएं थीं। इनमें घोर युद्ध हुआ, जिसमें गोरखों तथा महान चंद की सेनाओं की पराजय हुई। गोरखे इस क्षेत्र को छोड़कर वापस चले गए और राजा महान चंद ने जनरल ऑक्टरलोनी से संरक्षण के लिए प्रार्थना की जो तुरंत प्रदान कर दी गई। छह मार्च, 1815 को राजा महान चंद को अंग्रेजी सरकार ने एक सनद दी, जिसके द्वारा बिलासपुर राज्य की पुष्टि उसके नाम कर दी। परंतु बारह ठकुराइयों पर उसके दावे को रद्द करके उन्हें भी स्वतंत्र कर दिया। सन् 1818 ई. में राजा ने संसारू वजीर को नौकरी से निकाल दिया। वह लाहौर से सिखों को बिलासपुर पर चढ़ाई करने के लिए बुला लाया। सिखों ने आकर कोटधार पर अधिकार कर लिया। संसारू ने फिर राजा से आकर कहा कि यदि वह उसे अपना वजीर बना ले तो वह बिलासपुर को कोट-धार का भाग वापस दिला देगा। राजा ने उसे वजीर बना दिया। उसने लाहौर जाकर महाराजा रणजीत सिंह ने आज्ञा लिखवा ली कि कोटधार का भाग बिलासपुर को वापस किया जाए, लेकिन फिर भी वह धार वापस नहीं मिली। इस प्रकार राजा महान चंद के समय में कहलूर राज्य के कई भाग हाथ से निकल गए। महान चंद एक कमजोर और आलसी राजा था। उसके समय में कहलूर एक निर्बल राज्य बन गया और विदेशों की सत्ता के आधिपत्य में आ गया। परंतु एक बात यह देखने में अवश्य आई कि जब दिल्ली के मुगल शासक अकबर शाह द्वितीय के समय में मुगल राज्य तेजी से पतन की ओर बढ़ रहा था और उधर पंजाब में सिख रणजीत सिंह के नीचे छोटे-बड़े पहाड़ी राजाओं को दबाते जा रहे थे तो बिलासपुर अंग्रेजों के अधीन होने के कारण रणजीत सिंह के चंगुल से बचा रहा, अन्यथा  उसकी भी वही दुर्दशा होती जो कांगड़ा के अन्य रजवाड़ों की हुई। सन् 1819 ई. में कांगड़ा क्षेत्र के निजाम देसा सिंह मजीठिया ने संसार चंद की सहायता से पिछरोटा, निहालगढ़ तथा वियोली देवी किलों पर अधिकार कर लिया। सन् 1824 ई. में राजा महान चंद की मृत्यु हो गई। राजा का एकमात्र पुत्र खड़क चंद था, जिसका जन्म सन् 1813 में हुआ था।

राजा खड़क चंद- ग्यारह वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठा। इस राजा का राज्य काल कहलूर- बिलासपुर के इतिहास में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण तथ काला अध्याय समझा जाता है। राजा निकम्मा व्यक्ति था और सदा बुरे आदमियों की संगत में रहता था। उसे शराब की भी लत थी और वह महलों में मस्त रहता था। राजा के स्वभाव तथा प्रकृति के बारे में जो भविष्यवाणी पंडितों ने उसके जन्म के समय की थी, वह पूर्णतः सच साबित हुई। राजा जब अव्यस्क  था, तो प्रशासन का काम एक समिति चलाती थी।

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