लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए सकारात्मक सोच जरूरी है

By: Jun 20th, 2018 12:10 am

इसलिए मन दर्शन का लक्ष्य मस्तिष्क के दाएं और रचनात्मक भाग की तरफ होता है न कि तार्किक बाएं भाग की तरफ।सकारात्मक परिणाम के लिए सकारात्मक सोच रखना आवश्यक है। नकारात्मक विचार व भावनाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करती हैं, जबकि सकारात्मक विचार व भावनाएं इसे प्रबल बनाती हैं…

मस्तिष्क उच्च क्षमता वाली ऐसी प्रणाली है, जो आपके शरीर की अरबों काशिकाओं में से प्रत्येक से विशिष्ट ढंग से जुड़ा हुआ है। यह दो भागों में विभाजित है, बायां भाग तार्किक भाग है, जिसमें शब्द तर्क और विचार संगृहीत हैं, जबकि दायां भाग रचनात्मक है, जिसमें कल्पनाएं एवं अनुभूतियां शामिल हैं। दिन-प्रतिदिन के घटनाक्रम में हम ज्यादातर तार्किक तरीके से, मस्तिष्क के बाएं भाग के अनुरूप कार्य करते हैं। इसके कारण मस्तिष्क का दायां हिस्सा बाएं हिस्से से प्राप्त निर्देशों के अनुसार आपको स्वतः ही अपने लक्ष्य की ओर ले जाने के लिए प्रयास करता है।  यह बगैर अपनी राय बताए आपके लक्ष्य को स्वीकार कर लेता है और बिना अपना निर्णय दिए इसके अनुरूप कार्य शुरू कर देता है। इसलिए मन दर्शन का लक्ष्य मस्तिष्क के दाएं और रचनात्मक भाग की तरफ होता है न कि तार्किक बाएं भाग की तरफ।सकारात्मक परिणाम के लिए सकारात्मक सोच रखना आवश्यक है। नकारात्मक विचार व भावनाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करती हैं, जबकि सकारात्मक विचार व भावनाएं इसे प्रबल बनाती हैं। अतः सफलता के लिए सबसे आवश्यक शर्त यह है कि मस्तिष्क की क्रिया विधि को पूरी तरह से समझें और उसी के अनुरूप व्यवहार करें। इससे हमारी समस्याएं स्वतः समाप्त हो जाएंगी और हम तेजी से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे। विश्वास अवधारणा पर आधारित होता है, जब आप विश्वास करते हैं और सोचते हैं कि आप कर सकते हैं, तो आप एक तरह की अपूर्व सकारात्मक ऊर्जा से भर उठते हैं तथा आपमें अंतः प्रेरणा, वचनबद्धता, आत्मविश्वास, दृढ़ निश्चय और एकाग्रता जैसे मनोभावों का नवसंचार होता है। दूसरी तरफ यदि आप सोचते हैं कि आप नहीं कर सकते ,तो आपमें नकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और आप भ्रम, भय, हतोत्साहन व बेचैनी जैसे नकारात्मक मनोभावों के शिकंजे में फंस जाएंगे। हमारा मस्तिष्क लक्ष्य हासिल की चाह रखने वाला अंग है, इसमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह के विश्वास को वास्तविकता में बदलने की अपूर्व शक्ति विद्यमान होती है। इसलिए हम ठीक वैसा ही परिणाम प्राप्त करते हैं जैसा कि हम चाहते हैं। यदि आप विश्वास करते हैं कि आप सफल होंगे, तो सच मानिए कि आपको सफलता ही हाथ लगेगी। अतः यदि सफल होना है, तो अपने मस्तिष्क में सकारात्मक अभिलाषा बनाए रखना तथा स्वयं की क्षमताओं पर विश्वास करना आवश्यक है। अविश्वास एक नकारात्मक शक्ति है। यदि हमारा मस्तिष्क अविश्वास या संदेह करता है, तो वह वैसे कारणों को आकर्षित करेगा, जिनसे अविश्वास को समर्थन मिल सके। यदि आपको अपनी सफलता का अविश्वास है, तो आपका मस्तिष्क आपके विश्वास को मजबूत करने के लिए कार्य करेगा और आप निश्चित रूप से असफल होंगे। आप किसी भी जानवर को एक तालाब में डाल दीजिए, वह तैर कर निकल जाएगा। इसके विपरीत आप किसी ऐसे व्यक्ति को तालाब में डाल दीजिए जो तैरना नहीं जानता तो वह डूब जाएगा, ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए कि तैरना  नहीं सीखने के बावजूद जानवर को यह विश्वास होता है कि वह तैर कर पार हो जाएगा। इसलिए वह पार हो जाता है। दूसरी ओर, व्यक्ति को अपने तैर कर पार होने पर विश्वास नहीं होता। इसलिए वह डूब जाता है। विश्वास एक चयन भी है और उपहार भी। यदि आपको यह उपहार मिला है तो अति उत्तम। यदि उपहार नहीं मिलता है, तो आप इसका चयन भी कर सकते हैं और चयन करते ही यह उपहार आपको मिल जाएगा। आप किनारे पर खड़े रहकर तैरना कभी नहीं भी प्रारंभ करें। यह सच है कि किनारे पर खड़े रह कर यह विश्वास कभी नहीं होगा कि आप तैर सकते हैं।


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