वाजिद अली शाह की रचनाओं की पेंटिंग
चंबा – चंबा शिल्प परिषद द्वारा एक सप्ताह तक चली चित्रांकन कार्यशाला का समापन हो गया, जिसमें पहाड़ी चित्रकला और जयपुर के चित्रकारों ने भाग लिया। पद्मश्री विजय शर्मा चित्रकार के निर्देशन में इन चित्रकारों ने कुल दस चित्रों का सृजन किया। कार्यशाला का विषय लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह द्वारा रचित ठुमरिया और काव्य रचनाओं तक सीमित रहा। उल्लेखनीय है कि नवाब वाजिद अली शाह संगीत के रसिक थे। उन्होंने कत्थक नृत्य को संरक्षण दिया था और बहुत सारी संगीतिक रचनाओं को प्रचारित किया, उनकी काव्य रचनाओं में अख्तर पिया छदम नाम मिलता है। प्रसिद्ध गायक कुंदन लाल सहगल द्वारा गाया गीत बाबुल मोरा नैहर छूटो जाए भी वाजिद अली शाह ने लिखा था। पद्मश्री विजय शर्मा ने बताया कि पहली बार वाजिद अली शाह की शृंगारिक रचनाओं का चित्रण किया जा रहा है। राज तिलक कामोद में निबंध नीर भरन कैसे जाऊं रचना भी नवाब अली शाह की लिखी हुई है। उन्होंने बताया की कार्यशाला में बने चित्र एक पुस्तकाकार में प्रकाशित किया जाएगा। इस पुस्तक को प्रसिद्ध कला मर्मज्ञ डाक्टर हर्ष दहेजिया लिखेंगे, जो अगले वर्ष तक प्रकाशित होगी। इस कार्यशाला में महेंद्र सिसोदिया, खुश नारायण, हुकुम चंद, कृष्णकांत, दीपक भंडारी और भुवनेश्वर कुमार ने चित्रांकन किया।
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