शिमला अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ढूंढता रहा दर्शक

By: Jun 25th, 2018 12:05 am

शिमला  —शिमला अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव रविवार को दर्शकों और साहित्य प्रेमियों के लिए तरसता नजर आया। बोलने को तो यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का पहला आयोजन है, जो शिमला में हुआ, लेकिन सही व्यवस्थाओं के न  होने के चलते यह उत्सव सफल नहीं हो पाया। उत्सव के दूसरे दिन भी बड़ी महत्त्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होनी थी, लेकिन गेयटी का पूरा हॉल ही बिना दर्शकों के खाली पड़ा रहा। जो आयोजन भी थोड़ा बहुत सफल रहा, उसमें भी स्कूली बच्चों और ओपन गेयटी थियेटर के होने का लाभ आयोजकों को मिला, लेकिन गेयटी थियेटर में दर्शक जुटाने मेें आयोजक दूसरे दिन पूरी तरह से असफल रहे। कार्यक्रम में दूसरे और अंतिम दिन स्त्री लेखन और समाज, कथा का बदलता विन्यास, कविताओं के साथ ही कहानी पाठ और परिवारवाद का भारतीय राजनीति से वास्ता विषय पर पैनल डिस्कशन की गई। परिवारवाद और सांमतवाद हमारी रगो में है और इससे बाहर निकलने के लिए हमारे एजुकेशन सिस्टम को बेहतर बनाने की जरूरत। यह बात शिमला अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव के दूसरे और अंतिम दिन परिवारवाद का भारतीय राजनीति से वास्ता विषय पर पैनल चर्चा में जहां भाजपा और कांग्रेस पार्टी से जुडे़ प्रवक्ताओं और आमजन के रूप में पैनल में शामिल अभिनेता क्राइम शो सावधान इंडिया के एंकर सुशांत सिंह ने कही।  इसका एक उदाहरण देते हुए उन्होंने चर्चा में अपा पक्ष रखते हुए कांग्रेस पार्टी से संबंधित तहसीन पूनावाला ने भाजपा में परिवारवाद की तो भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता तेजिंद्र पाल सिंह बग्गा ने कांगे्रस पार्टी में परिवारवाद को बढ़ाने की बात कही। पैनल चर्चा में शहजाद पूनावाला सहित अनुराग पुनेठा ने भी भाग लिया।  उत्सव में साहित्य सत्र का आयोजन किया गया । इसमें मेरी पीढ़ाओं का मत अपमान करो , जो घट घट कर बरसे , मैं बादल हूं ये पंक्तियां अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव के दूसरे दिन डा. अनिल राकेश ने साहित्य सत्र के दौरान कही। अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव में साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं की खूबसूरत प्रस्तुति दीं। इस दौरान ओम प्रकाश सारस्वत ने न भूल मुझे उस छोर तक ले चल कभी रचना सुनाई, त्रिलोक सूर्यवंशी द्वारा पहाड़ी कविता पाठ किया गया। इसके अतिरिक्त कुंवर दिनेश सिंह, अरून कुमार शर्मा, सीआरबी ललित ने अपनी रचनाओं को प्रस्तुत किया।

लाखों खर्च किए, पर नहीं आई नामी हस्तियां

शिमला अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव में विभोर सहित भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग ने लाखों खर्चें, लेकिन इस उत्सव का असर नहीं दिख पाया। कार्यक्रम के सफल न होने के पीछे बड़ी और नामी हस्तियां जो इस आयोजन में आनी थीं, जिसमें राजनीतिज्ञ और अभिनेता मनोज तिवारी, राजदीप सरदेसाई इंडियन न्यूज एंकर सहित कई अन्य हस्तियां शामिल ही नहीं हुईं।


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