शिमला का बोझ कम होने से ही बनेगी बात

By: Jun 9th, 2018 12:05 am

हरिमित्र भागी

लेखक, सकोह, धर्मशाला से हैं

ब्रिटिश सरकार ने अपने शासन काल में ऐसी योजनाएं बनाई थीं कि शिमला में उस समय ऐसी कोई समस्या उत्पन्न नहीं हुई। अब तो टेक्नोलॉजी बड़ी आगे पहुंच चुकी है, तो क्यों नहीं इन समस्याओं से राहत पहुंचाई जा सकती है। अतः शिमला में पानी की सप्लाई उचित तथा योजनाबद्ध तरीके से की जानी चाहिए…

हिमाचल प्रदेश जिसका प्राकृतिक सौंदर्य, हरे-भरे खेत, बर्फ से ढकी पहाड़ों की चोटियां, कल-कल करती नदियां, देश-विदेश के पर्यटकों का मन मोह लेती हैं व ब्रिटिश साम्राज्य जिन्होंने कई वर्षों तक हमारे देश में राज किया, उन्होंने भी प्रदेश में शिमला, कुल्लू, मनाली, डलहौजी, कसौली व धर्मशाला जैसे शहरों को अपने वातावरण के अनुकूल बसाया। यहां की सांस्कृतिक व भौगोलिक स्थिति के अनुसार यहां भवन, सड़क, वास्तुकला के अनुसार विकास किया। इसी कड़ी के अनुसार पूरे देश की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला हुआ करती थी, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश व पंजाब जिसमें पाकिस्तान वाला पंजाब शामिल थे। आजकल हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में जलसंकट की समस्या उत्पन्न हो गई है। पिछले वर्ष शिमला में पीलिया की बीमारी का संकट पैदा हो गया था। शिमला जो देश की धरोहर है, पर्यटन स्थल है, प्रदेश की आमदनी का साधन है, जहां फिल्मों की शूटिंग होती रही है, कालका-शिमला रेलवे लाइन, कई भवन जो पुरानी यादें लिए हुए हैं, उस शिमला को कैसे सुरक्षित किया जाए। शिमला की आबादी बहुत है तथा ऐसे में आबादी बढ़ने से भी शिमला को आगे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। आबादी भरी इस राजधानी में आ रहे इन खतरों से बचाने के लिए आवश्यक है कि उचित कदम उठाए जाएं।

इसके लिए सबसे पहले कई कार्यालयों को दूसरे स्थानों पर शिफ्ट किया जा सकता है। सुंदरनगर में इतने भवन प्रोजेक्ट का काम समाप्त होने के बाद खाली पड़े हैं, वहां बिजली बोर्ड का कार्यालय लाया जा सकता है। शिक्षा निदेशालय प्रदेश की दूसरी राजधानी धर्मशाला में लाया जा सकता है। आयुर्वेद को भी यहां लाया जा सकता है। कृषि निदेशालय पालमपुर में लाया जा सकता है, क्योंकि वहां कृषि विश्वविद्यालय भी है। इसी प्रकार स्वास्थ्य विभाग इत्यादि व लोक सेवा आयोग का कार्यालय भी कहीं और बदला जा सकता है। उच्च न्यायालय की बैंच धर्मशाला खोली जा सकती है। पंजाब यद्यपि मैदानी क्षेत्र है, वहां भी बिजली बोर्ड व लोक सेवा आयोग पटियाला में हैं। हरियाणा के कई कार्यालय पंचकूला में हैं। केंद्रीय सरकार के कई कार्यालय नोएडा व एनसीआर में हैं। फिर शिमला को इतने बोझ में क्यों रखा जाए। इससे एक तो जनसंख्या में कमी आएगी, दूसरा काफी सारा स्टाफ अलग-अलग जगहों पर विभाजित हो जाएगा। लोग जो छोटे-मोटे कार्य के लिए शिमला जाते रहते हैं, शिमला को उससे राहत मिलेगी। परीक्षा देने वाले परीक्षार्थी जो लोक सेवा आयोग आते हैं उनका आना रुक जाएगा।  आबादी को बढ़ने से रोक कर हमें शिमला में पानी  की कमी और बढ़ते प्रदूषण जैसी समस्याओं से काफी राहत मिल सकती है। पहाड़ों की रानी शिमला जिसके नाम पर देश-विदेशों में कई शोरूम व ब्रांड चले हैं, उसे बचाना आवश्यक है।

ब्रिटिश सरकार ने अपने शासन काल में ऐसी योजनाएं बनाई थीं कि शिमला में उस समय ऐसी कोई समस्या उत्पन्न नहीं हुई। अब तो टेक्नोलॉजी बड़ी आगे पहुंच चुकी है, तो क्यों नहीं इन समस्याओं से राहत पहुंचाई जा सकती है। कोर्ट ने अवैध कब्जे उठाने के पहले ही आदेश दिए हैं, इसे अब विस्तारपूर्वक रूप में विकसित किया जा सकता है। शिमला में पानी की सप्लाई को उचित तथा योजनाबद्ध तरीके से विकसित किया जाना चाहिए, जिससे शिमलावासियों को आने वाले समय में फिर से पानी की किल्लत को न झेलना पड़े। पुट्टापर्थी के संत सत्य साई बाबा जी ने अपने व्यक्तिगत प्रयत्नों से 150 किलोमीटर की पेय योजना बनवाई व कई प्रदेशों को लाभ हुआ। पुराने पेय स्रोतों की मरम्मत की जानी चाहिए और योजनाबद्ध ढंग से शिमला का विकास किया जाना चाहिए, जिससे शिमला में स्वच्छ पानी की सप्लाई हो सकती है। विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय संस्थान बढ़ाए जा सकते हैं। शक्तियों का विकेंद्रीयकरण हो सकता है, ताकि हर छोटे-मोटे कार्यों के लिए लोगों को शिमला न जाना पड़े। इसलिए प्रयत्न किया जाना चाहिए कि शिमला की पुरानी धरोहरों को बचाया जाए व पुराना सौंदर्य लौटाया जाए। शिमला की पुरानी शान एडवांस स्टडीज, गेयटी थियेटर, पीटर हॉफ, कैनेडी हाउस, कालका-शिमला रेलवे लाइन जिसमें टैक्सी, बस, पर्यटक योजनाएं चालू की जा रही हैं, परंतु इसके लिए जरूरी है कि शिमला में प्रदूषण और पानी की समस्या का समाधान किया जाए।

प्रदेश की राजधानी का पर्यटन वातावरण तभी तक शोभायमान रहेगा, जब इसमें हवाई, सड़क, रेल के संपर्क में कोई बाधा न आए। अतः सरकार को कार्यालय शिफ्ट करने का कार्य शीघ्रतापूर्ण करना चाहिए। शिमला भी प्रदूषण की ओर तेजी से अग्रसर है, ऐसे में सही नीति निर्माण की जरूरत है। सरकार को शिमला में बढ़ रहे प्रदूषण के जाल को कम करने के लिए यहां की बढ़ रही आबादी पर भी नियंत्रण करने की जरूरत है। पानी की समस्या को दूर करने के लिए भी सरकार को पानी की सप्लाई उचित तथा व्यवस्थित ढंग से करनी चाहिए।

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