श्रीगोपाल सहस्रनाम स्तोत्र
-गतांक से आगे…
यमुनावेगसंहारी नीला बरधरः प्रभुः।
विभुः शरासनो धन्वी गणेशो गणनायकः।। 26।।
लक्ष्मणो लक्षणो लक्ष्यो रक्षोवंशविनशनः।
वामनो वामनीभूतो बलिजिद्विक्रमत्रयः।। 27।।
यशोदानंदनः कर्ता यमलार्जुनमुक्तिदः।
उलूखली महामानी दामबद्धाह्वयी शमी।। 28।।
भक्तानुकारी भगवान केशवोह्यचलधारकः।
केशिहा मधुहा मोही वृषासुरविघातकः।। 29।।
अघासुरविनाशी च पूतनामोक्षदायकः।
कुब्जाविनोदी भगवान कंसमृत्युर्महामखी।। 30।।
अश्वमेधो वाजपेयो गोमेधो नरमेधवान।
कंदर्पकोटिलावण्यश्चंद्रकोटिसुशीतलः।। 31।।
रविकोटिप्रतीकाशो वायुकोटिमहाबलः।
ब्रह्मा ब्रह्मांडकर्ता च कमलावांछितप्रदः।। 32।।
कमली कमलाक्षश्च कमलामुखलोलुपः।
कमलाव्रतधारी च कमलाभः पुरंदरः।। 33।।
सौभाग्याधिकचित्तोह्ययं महामायी महोत्कटः।
तारकारिः सुरत्राता मारीचक्षोभकारकः।। 34।।
विश्वामित्रप्रियो दांतो रामो राजीवलोचनः।
लंकाधिपकुलध्वंसी विभिषणवरप्रदः।। 35।।
—क्रमशः
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