सफेद कुर्ते और टोपी के साथ आया रमजान

By: Jun 3rd, 2018 12:07 am

रमजान का रिश्ता नाना प्रकार की टोपियों से भी जुड़ा हुआ है। वास्तव में टोपी नमाज के समय ओढ़ी जाती है क्योंकि नमाज के लिए सिर ढका होना चाहिए। वैसे भी बहुत से लोग टोपियां पहनना पसंद करते हैं। कई लोगों की तो पहचान ही टोपियों से होती है। सर्दी व गर्मी में भिन्न प्रकार की टोपियां पहनी जाती हैं। टोपियों के कारोबार की अपनी दुनिया ही अलग होती है। बकौल ‘‘शान कैप हाउस’’, बस्ती हजरत निजामुद्दीन, नई दिल्ली, टोपियों का थोक का कारोबार रमजान से एक मास पूर्व ही धड़ल्ले से चलकर पहले रमजान को समाप्त हो जाता है। रिटेल का काम पहले रमजान से प्रारंभ होकर ईद से एक रात पहले तक चलता है। लोगों को ईद पर टोपियां पहन कर नमाज पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। गली कासिमजान के टोपी फरोश हबीब की दुकान ‘‘सलाम एंड ब्रादर’’ की टोपियां तो सारे साल ही चलती हैं। इसी दुकान के अजीज भाई हमें बताते हैं कि टोपियों की लगभग एक हजार किस्में होती हैं जैसे – अलिफ फारूक, आजम, अल-फदीला, सना, सीरिया, जन्नत, पाकीजा, जीनत, उमर, सुन्नत, बेंत टोपी, समरदाना, मोती, तुर्की, स्टार, फ्लावर फोम, दमिश्क आदि। टोपी बनाने का विश्व का सबसे बड़ा गढ़ बंग्लादेश है। उसके बाद भारत, पाकिस्तान, सऊदी अरब, इन्डोनेशिया, तुर्की, दमिश्क आदि भी टोपियां बनाते हैं। बंग्लादेश टोपी के विश्व के सबसे बड़े टोपी विक्रेता ‘‘अलिफ कैप’’ और ‘‘अल-फारूक कैप’’ हैं। यूं तो रमजान में आप किसी भी प्रकार के कपड़े पहन सकते हैं मगर इस का दारोमदार मौसम के ऊपर रहता है। अगर आप हल्के-फुल्के और ढीले-ढाले कपड़े पहने जा रहे हैं। इनमें कॉटन के कुर्तों का अच्छा खासा चलन है।

— फिरोज बख्त अहमद, ए-202,

अदीबा मार्किट व अपार्टमेंट्स, मेन रोड, जाकिर नगर, नई दिल्ली

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