सरकार को 506 करोड़ की चपत

By: Jun 22nd, 2018 12:05 am

शिमला— बिजली बोर्ड की अपनी लापरवाही के चलते हिमाचल सरकार को हर साल 506 करोड़ का चूना लग रहा है। टूटी तारों, बदहाल खंभों, कम वोल्टेज और मीटरों में तकनीकी खराबी से इस वर्ष साढ़े 10 प्रतिशत विद्युत हानि का खुलासा हुआ है। विद्युत नियामक आयोग की रिपोर्ट में हुए इस खुलासे के बाद राज्य सरकार ने इस चपत को रोकने के लिए कई कड़े फैसले लिए हैं। राज्य सरकार ने अहम फैसला लिया है कि बिजली मीटर रीडिंग के लिए आउटसोर्स पर रखे सभी कर्मचारियों को हटाया जाएगा। इसके लिए सितंबर माह में नए सिरे से भर्ती होगी। आउटसोर्स पर प्रस्तावित इस भर्ती के लिए कड़े नियम बनेंगे। राज्य सरकार के खजाने को चपत लगा रहे हिमाचल प्रदेश के डेढ़ हजार उद्योगों में इलेक्ट्रॉनिक मीटर स्थापित करने का बड़ा फैसला लिया गया है। औद्योगिक इकाइयों में मैनुअल मीटर होने के कारण पीक ऑवर्ज की दरें लागू नहीं हो पाती हैं। जाहिर है कि कामर्शियल मीटर्ज के लिए पीक ऑवर्ज में अधिक दरों का प्रावधान है। राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश के छह लाख बिजली मीटरों को बदलने का निर्णय लिया है। तकनीकी खराबी के कारण इन मीटरों से रीडिंग में टेंपरिंग की आशंका जताई गई है। इसके चलते इस साल छह लाख में से पांच लाख बिजली मीटर बदले जाएंगे। विद्युत नियामक आयोग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य भर में स्थापित पांच हजार बिजली खंबे तकनीकी खराबी के चलते ट्रांसमिशन लाइन को प्रभावित कर रहे हैं। इस कारण प्राथमिकता के आधार पर इन सभी खंभों को बदलने का बड़ा फैसला लिया गया है। कम वोल्टेज वाले स्पॉट 15 दिन के भीतर चिन्हित करने की सिफारिश की गई है। इस आधार पर बिजली की बचत होगी और आम लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा।

* नियामक आयोग ने विद्युत हानि पर जारी की रिपोर्ट

* डेढ़ हजार उद्योगों में लगेंगे इलेक्ट्रॉनिक मीटर, छह लाख घरेलू बिजली मीटर बदलने के फरमान

* रीडिंग के लिए सितंबर में होगी नई भर्ती पांच हजार खंभों, ट्रांसमिशन लाइन बदलने का फैसला

* करीब पांच करोड़ की सालाना विद्युत हानि को रोकने के लिए कड़े फैसले लिए गए हैं। यह भारी-भरकम नुकसान ट्रांसमिशन लाइन की खराबी, पुराने खंभों और बिजली मीटरों के कारण है। इस कारण सुधार के बड़े फैसले लिए गए हैं

तरुण कपूर, अतिरिक्त मुख्य सचिव

खंभे बदलने को नए सिरे से टेंडर

प्रदेश में बिजली खंभों को बदलने और कम वोल्टेज वाले स्थल चिन्हित करने के प्रयास पिछले साल आरंभ हुए थे। खंभों की खरीद के लिए टेंडर प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई थी। जीएसटी के कानूनी पेंच के कारण संबंधित फर्म ने आपूर्ति से पहले ही हाथ खड़े कर दिए थे। इसके चलते सरकार ने अब नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया कर प्राथमिकता आधार पर इन्हें बदलने के निर्देश दिए हैं।


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