साथ बैठें भारत-पाक-चीन

By: Jun 19th, 2018 12:05 am

चीनी राजदूत ने कहा, रिश्तों को और मजबूत करने के लिए तीनों देशों के बीच हो शिखर सम्मेलन

नई दिल्ली— क्षेत्रीय संबंधों को मजबूत करने के लिए पेइचिंग ने भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच शिखर सम्मेलन की वकालत की है। भारत में चीन के राजदूत लु झाओहुई ने सोमवार को अनौपचारिक रूप से शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) से इतर ऐसे समिट की बात कही, जिसमें भारत, चीन के अलावा पाकिस्तान भी शामिल हो। गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पार आतंकवाद के कारण पिछले काफी समय से तनाव है, जिसका द्विपक्षीय रिश्तों पर भी असर पड़ा है। ऐसे में चीन की ओर से क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए यह पहल की गई है। नई दिल्ली में भारत-चीन के रिश्तों पर आयोजित एक सेमिनार में लु ने कहा कि कुछ भारतीय मित्रों ने सुझाव दिया है कि भारत, चीन और पाकिस्तान के बीच एससीओ से इतर एक त्रिपक्षीय सम्मेलन होना चाहिए… यह एक सकारात्मक विचार है। बता दें कि सेमिनार का विषय ‘वुहान से आगेः कितनी तेजी से भारत-चीन संबंध आगे बढ़ सकते हैं’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान शहर में अप्रैल में हुई मुलाकात पर आधारित था। लु ने कहा कि चीन, रूस और मंगोलिया के बीच ऐसी ही समिट हुई थी, मुझे ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि भारत, पाकिस्तान और चीन में ऐसा न हो सके। उन्होंने कहा कि सीमाओं पर शांति सभी देशों के हित में है। भारत-चीन-भूटान ट्राइजंक्शन पर पिछले साल 73 दिनों तक चले गतिरोध के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हम एक और डोकलाम की घटना नहीं दोहरा सकते हैं। ऐसे में सीमा पर शांति कायम करने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए। लु ने ट्वीट किया कि ऐसे विवादों पर एक पारस्परिक स्वीकार्य समाधान की जरूरत है। वहीं ट्रेड को लेकर लु ने कहा कि कारोबार असंतुलन को कम करने के लिए चीन अब ज्यादा चीनी, गैरबासमती चावल और उच्च गुणवत्ता की दवाएं भारत से आयात करेगा। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि द्विपक्षीय ट्रेड टारगेट 2022 के लिए 100 अरब डालर सेट किया गया है। बता दें कि हाल ही में भारत में अनौपचारिक समिट के नई दिल्ली के ऑफर को चीन ने स्वीकार कर लिया था। 2019 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग वुहान जैसी समिट के लिए भारत आएंगे।

कम करने होंगे मतभेद

चीनी राजदूत ने ट्वीट किया कि हमें सहयोग बढ़ाकर मतभेदों को नियंत्रित और कम करने की जरूरत है। इतिहास के साथ ही सीमा का सवाल पीछे छूट चुका है। हमें विशेष प्रतिनिधियों की बैठकों के जरिए विश्वास बहाली के उपाय करने की जरूरत है, जिससे सभी को स्वीकार होने वाले समाधान निकाले जा सकें।

सामने रखा फोर प्वाइंट विजन

लु ने आगे भारत-चीन सहयोग के भविष्य पर अपना फोर प्वाइंट विजन सामने रखा। उन्होंने बताया कि मित्रता और सहयोग की संधि पर हस्ताक्षर हो, द्विपक्षीय फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हो, कनेक्टिविटी बढ़े और सीमा से जुड़े मसलों के जल्दी समाधान खोजे जाएं।


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