सीरियस मरीजों को एंबुलेंस की ना

By: Jun 25th, 2018 12:05 am

 शिमला —शिमला स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज में कोई न कोई समस्या मरीजों के सामने आती है। यहां आए दिन किसी न किसी की मनमानी आम मरीजों पर भारी पड़ती है। इन दिनों अस्पताल से मरीजों को अगर घर तक पहुंचाना हो तो तीमारदारों को प्राइवेट टैक्सी कर ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं। ऐसे में जो लोग गरीब परिवार से संबंध रखते हैं, उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आईजीएमसी में पहले से ही 108 एंबुलेंस केवल तीन ही हैं, इसके अलावा संस्थाओं की जो एंबुलेंस चलती हैं, वे भी केवल पहुंच के आधार या फिर अपनी मर्जी से मरीजों को घर तक पहुंचाने में हामी भरती हैं।  उल्लेखनीय है कि आईजीएमसी में प्रदेश भर के अस्पतालों में से सबसे ज्यादा मरीज पहुंचते हैं। ऐसे में यहां पर सुविधाएं भी सबसे ज्यादा होनी चाहिए थीं। तीन 108 और बाकी एंबुलेंस भी गिनी चुनी हैं। इससे एंबुलेंस चालकों द्वारा मनमर्जी करना भी आम बात है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल में ऐसा कोई भी दिन नहीं जाता, जब मरीजों के तीमारदारों को एंबुलेंस बुक करवाने में दिक्कतों का सामना न करना पड़ता हो। एंबुलेंस चालकों की इस मनमानी के आगे अस्पताल प्रशासन भी मौन है। मरीजों को अस्पताल में लाने और ले जाने की जिम्मेदारी को एंबुलेंस चालक सही ढंग से पूरा कर रहे हैं या नहीं इस ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है। जिस वजह से आईजीएमसी प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाना लाजिमी है।

एंबुलेंस पार्क करने को जगह तक नहीं

आईजीएमसी में 108 एंबुलेंस के मरीजों को समय पर न मिलने का एक कारण यह भी है कि यहां पर एंबुलेंस पार्क करने के लिए चालकों को अस्पताल से तीन किलोमीटर संजौली में पार्क करने के लिए जाना पड़ता है। ऐसे में इस समस्या का समाधान निकालना भी जरूरी है।


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