सुरक्षा के प्रतीक हैं सिखों के चिन्ह

By: Jun 23rd, 2018 12:05 am

गुरुओं, अवतारों, पैगंबरों, ऐतिहासिक पात्रों तथा कांगड़ा ब्राइड जैसे कलात्मक चित्रों के रचयिता सोभा सिंह पर लेखक डॉ. कुलवंत सिंह खोखर द्वारा लिखी किताब ‘सोल एंड प्रिंसिपल्स’ कई सामाजिक पहलुओं को उद्घाटित करती है। अंग्रेजी में लिखी इस किताब के अनुवाद क्रम में आज पेश हैं ‘आध्यात्मिकता’ पर उनके विचार ः

-गतांक से आगे…

गुरु को ज्ञात हुआ कि अपने आप से कहीं अधिक पंजप्यारों तथा खालसा जैसे संस्थान की जरूरत है। इसी के जरिए शक्तिशाली लोगों के कमजोर लोगों पर अत्याचारों से लड़ा जा सकता है तथा मानवता का उत्थान किया जा सकता है। लोगों में अनुशासन लाने के लिए गुरु गोबिंद सिंह ने सिखों को अमृत दिया जो कि अमरता का प्रतीक है। इसके अलावा पुरुषों के नाम के साथ सिंह तथा महिलाओं के नाम के साथ कौर लगाया गया। सिंह का मतलब शेर होता है, जबकि कौर का मतलब रानी से है। उन्होंने अमृतधारी सिख पुरुषों को अनुशासन में रहने के लिए सिखों के पांच चिन्ह (केश, कंघा, कड़ा, कच्छा व किरपाण) धारण करने को कहा। साथ ही यह भी कहा कि नित नियम में रहें अर्थात सुबह और शाम दो बार गुरु का भजन करें। इससे सिखों में अनुशासन, एकता, निजता, पहचान व शक्ति आएगी। पांच प्रतीकों में एक छोटा कच्छा, लोहे का कड़ा, कंघा, किरपाण व बिना कटे हुए बाल थे, जो कि समय के अनुसार अनुशासन के लिए जरूरी थे। घुटनों तक लंबा एक्सट्रा लार्ज कच्छा रूटीन के पहरावे में शामिल था, इसलिए छोटे साइज का कच्छा अनिवार्य किया गया, जो कि रणभूमि में जाने तथा घोड़े पर सवारी के अनुकूल हो। कच्छे के रूप में एक लंबा कपड़ा रणभूमि के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया और लोग इसे आम तौर पर पहना करते थे। कंघे की जरूरत बालों को व्यवस्थित व बांधे हुए रखने के लिए पड़ी। इसी तरह कड़े की जरूरत आत्मरक्षा के लिए पहले से तैयार हथियार के रूप में पड़ी। किरपाण की जरूरत जरूरतमंद की रक्षा तथा आत्म-संरक्षण के मिशन के लिए पड़ी। धर्म की रक्षा के लिए यह पहरावे की संहिता थी। साथ ही आजादी के लिए आततायी शक्तियों से लड़ना भी था। व्यवस्थित ढंग से इकट्ठे किए हुए बालों से व्यक्ति को एक अलग पहचान मिलती है तथा इससे गौरव भी बढ़ता है, ऐसे व्यक्ति पर कई लोग निर्भर होते हैं। यह एक तरह से भगवान की सर्वोच्चता को स्वीकार करना भी है। भाव यह है कि भगवान ने व्यक्ति को जिस तरह धरती पर भेजा है, उसी तरह रहा जाए। बालों को सिर पर एक पगड़ी लगाकर ढका जाता है। पगड़ी हेलमेट के रूप में सिर की सुरक्षा का काम भी करती है। सिर और चेहरे पर बाल व्यक्ति को एक अलग ही पहचान देते हैं। अमृतधारी व्यक्ति को कुछ करना होता है या मरना होता है, वह रणभूमि में पीठ नहीं दिखा सकता, उसे बहादुरी के साथ आमने-सामने लड़ना होता है। लोहे का कड़ा जहां एक हथियार के रूप में काम करता है, वहीं यह व्यक्ति को नैतिक जीवन जीने के लिए नियमों के भीतर रहने की सीख देता है। इसी तरह कच्छा व्यक्ति को हमेशा स्व-नियंत्रण में रखता है। इससे रणभूमि में लड़ना सहज हो जाता है। उन दिनों में उन्हें इसी तरह का जीवन व्यतीत करना पड़ता था। यहां तक कि आज भी व्यक्ति को कमोबेश इसी तरह जीना पड़ता है। अगर मैं अपनी जेब में हमेशा एक पेंटिंग ब्रश रखता हूं तथा कोई दूसरा व्यक्ति अपने गले में लटकाकर स्टेथोस्कोप (हृदय गति मापने का यंत्र) रखता है, तो ऐसा करना निरर्थक नहीं हो सकता। हमें इनका प्रयोग करते हुए, इन पर अभ्यास करते हुए जीना है। सिखों के चिन्हों या प्रतीकों के साथ भी ऐसा ही है।

दैनिक प्रार्थना ः नित नियम में सिखों के लिए दैनिक प्रार्थना के लिए कुछ चयनित भजन शामिल किए गए हैं। इन्हें कुछ लोग सुबह याद करते हैं, कुछ शाम को तथा कुछ अन्य रात को बिस्तर में जाने से पहले याद करते हैं। नित नियम से कोई भी प्रेरणा पा सकता है, जब भी किसी को इसकी जरूरत हो। परंतु यह व्यर्थ है कि कोई इन्हें तोते की तरह रटता रहे। इन्हें आपके ऊपर एक प्रभाव छोड़ना होता है। जब ये इसमें सफल हो जाते हैं तो आप इस बात से मुक्त हो जाते हैं कि आप इन्हें रटते रहें। एकाग्रता के साथ इन्हें पढ़ना सही बात हो सकती है जिसकी जरूरत है। जो कुछ भी तोता कहता है, वह इसे समझता नहीं है।

 -क्रमशः


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