सोशल मीडिया नहीं, अखबार पर भरोसा

By: Jun 11th, 2018 12:05 am

इंटरनेट के इस युग में हालांकि सबकुछ ऑनलाइन  है, लेकिन इस युग में भी युवाओं का अखबार पढ़ने का क्रेज कम नहीं हुआ है। कुछ युवा इंटरनेट के इस युग में अखबार खत्म होने की भी बात कर रहे हैं, लेकिन अधिकतर युवा का अखबार पर बड़ा असर नहीं बता रहे हैं। आपराधिक घटनाओं की खबरों से युवा पीढ़ी ज्यादातर आहत हो रही है। कुछ इस तरह की बातें युवाओं ने ‘दिव्य हिमाचल’ से शेयर कीं…

‘संपादकीय’ पन्ना मेरी पहली पसंद

आदर्श का कहना है कि इंटरनेट के युग में खबरें जन-जन तक पहुंचनी आसान हो गई हैं, लेकिन संपादकीय पन्ना अखबारों में ही मिल सकता है। ऐसे में अखबार की अपनी महत्त्ता है और युवाओं का भविष्य भी खबरों  के बिना अधूरा है। आपराधिक खबरों से काफी तकलीफ होती है।

सटीक जानकारी यानी अखबार

अनुज नेगी का कहना है कि हर युवा को भविष्य बनाने के लिए अखबार पढ़ना जरूरी है। मैं भी रोज अखबार पढ़ता हूं। अखबार सोशल मीडिया की भेंट चढ़नी आरंभ हो गई है। खबरों से हमें यह पता चलता है कि कहां कौन सी वैकेंसी है। इसलिए यह बड़ा महत्त्व रखती हैं। दुर्घटनाओं वाली खबरों से काफी झटका लगता है।

अखबार पढ़ने में अपना ही मजा

आर्यन का कहना है कि भले ही टीवी चैनलों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर हर खबरें तुरंत अपडेट होती हैं, लेकिन अखबार पढ़ने का अपना ही क्रेज है। सोशल मीडिया से अखबारों के प्रसार पर फर्क पड़ा है। आने वाले समय में अखबारें खत्म हो सकती हैं। शेयर बाजार वाली खबरें मेरे लिए ज्यादा महत्त्व रखती हैं। देवी-देवताओं के गर्भगृह की खबरों से दुख व्यक्त होता है।

क्राइम न्यूज दुखदायी

पवन कुमार का कहना है कि वह हर रोज अखबार पढ़ते हैं। अखबार को वह दिनचर्या से भी जोड़ते हैं। इंटरनेट युग में अखबार बंद नहीं हो सकती है, इसके पिं्रटिंग में आधुनिककरण आ सकता है। सामाजिक और राजनीतिक खबरें मेरे लिए ज्यादा महत्व रखती हैं। गांव में अखबार की महत्तता ज्यादा है। लगातार बढ़ रहे आपराधिक मामले की खबरें काफी दुख पहुंचाती है।

कभी बंद नहीं हो सकती अखबार

कुल्लू कालेज में पढ़ रही छात्रा धनवंती का कहना है कि अखबार पढ़ने से विभिन्न विषयों की जानकारी हासिल होती है। भले ही इंटरनेट के इस युग में खबरें आनलाइन पढ़ी जाती हैं, लेकिन सामाजिक जानकारियां बारीकी से अखबार में ही मिलती है। अखबार कभी बंद नहीं हो सकती है। खबर का महत्त्व हर पढे़-लिखे युवा जुड़ा है। महिलाओं के साथ होने वाली आपराधिक घटनाओं की खबर मुझ तक पहुंचती है तो, बड़ी तकलीफ देती है।

बारीकी से मिलती है हर खबर की जानकारी

धर्मशाला में पढ़ रही कुल्लू की बेटी मोहिनी का कहना है कि भले ही देश में इंटरनेट युग काफी आगे पहुंच गया है और खबरें भी दो मिनट बाद सोशल मीडिया के माध्यम से पढ़ने को मिलती हैं, लेकिन जो जानकारी अखबार में बारीकी से पढ़ने को मिलती है, वह कहीं नहीं मिलती है।   अखबार की खबर मेरे लिए बड़ा महत्त्व रखती है। क्योंकि मैं भी जर्नलिज्म कर रही हूं। हादसे वाली खबर से मुझे काफी तकलीफ होती है।

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