हफ्ते का खास दिन

By: Jun 24th, 2018 12:05 am

पीटी उषा का जन्म 27 जून,1964 को केरल के कोझीकोड जिले के पय्योली ग्राम में हुआ था। उषा एक धाविका के रूप में भारत के लिए केरल का और विश्व के लिए भारत का अमूल्य उपहार है। खेलकूद के प्रति पूर्णतया समर्पित उषा के जीवन का जैसे एकमात्र ध्येय ही विजय प्राप्ति बन गया है। पीटी उषा को सर्वाधिक सहयोग अपने प्रशिक्षक श्री ओपी नम्बियार का मिला है, जिनसे 12 वर्ष की अल्पायु से वह प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। उषा मलयालम भाषी है। वह दक्षिण रेलवे में अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। व्यस्तता के बावजूद पीटी उषा ने मात्र दृढ़ इच्छाशक्ति और परिश्रम के बल पर खेल जगत में अपना अप्रतिम स्थान बनाया है। साथ ही उनका खेल ज्ञान भी काफी अद्भुत है।

खेल जीवन

1979 में उन्होंने राष्ट्रीय विद्यालय खेलों में भाग लिया, जहां ओम नम्बियार का उनकी ओर ध्यानाकर्षित हुआ, और वे अंत तक उनके प्रशिक्षक रहे। 1980 के मास्को ओलंपिक में उनकी शुरुआत कुछ खास नहीं रही। एशियाड, 82 के बाद से अब तक का समय पीटी उषा के चमत्कारी प्रदर्शनों से भरा पड़ा है। 1982 के एशियाड खेलों में उसने 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीते थे। राष्ट्रीय स्तर पर उषा ने कई बार अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दोहराने के साथ 1984 के लांस एंजेल्स ओलंपिक खेलों में भी चौथा स्थान प्राप्त किया था। यह गौरव पाने वाली वे भारत की पहली महिला धाविका हैं। कोई विश्वास नहीं कर पा रहा था कि भारत की धाविका, ओलंपिक खेलों में सेमीफाइनल जीतकर अंतिम दौड़ में पहुंच सकती है। जकार्ता की एशियन चैंपियनशिप में भी उसने स्वर्ण पदक लेकर अपने को बेजोड़ प्रमाणित किया। ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धाओं में लगातार 5 स्वर्ण पदक एवं एक रजत पदक जीतकर वह एशिया की सर्वश्रेष्ठ धाविका बन गई हैं। लांस एंजल्स ओलंपिक में भी उसके शानदार प्रदर्शन से विश्व के खेल विशेषज्ञ चकित रह गए थे। 1982 के नई दिल्ली एशियाड में उन्हें 100 मी व 200 मी में रजत पदक मिला, लेकिन एक वर्ष बाद कुवैत में एशियाई ट्रैक और फील्ड प्रतियोगिता में एक नए एशियाई कीर्तिमान के साथ उन्होंने 400 मी में स्वर्ण पदक जीता। 1983-89 के बीच में उषा ने एटीफ खेलों में 13 स्वर्ण जीते।  400 मी बाधा दौड़ के सेमी फाइनल में वे प्रथम थीं, पर फाइनल में पीछे रह गईं। मिलखा सिंह के साथ जो 1960 में हुआ, लगभग वैसे ही तीसरे स्थान के लिए दांतों तले अंगुली दबवा देने वाला फोटो फिनिश हुआ। उषा ने 1.100 सेकंड की वजह से कांस्य पदक गंवा दिया। 400 मी बाधा दौड़ का सेमी फाइनल जीत के वे किसी भी ओलंपिक प्रतियोगिता के फाइनल में पहुंचने वाली पहली महिला और पांचवीं भारतीय बनीं। 1986 में सियोल में हुए दसवें एशियाई खेलों में दौड़ कूद में, पीटी उषा ने 4 स्वर्ण व 1 रजत पदक जीते। उन्होंने जितनी भी दौड़ों में भाग लिया, सबमें नए एशियाई खेल कीर्तिमान स्थापित किए। 1985 में जकार्ता में हुई एशियाई दौड़-कूद प्रतियोगिता में उन्होंने पांच स्वर्ण पदक जीते। एक ही अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में छः स्वर्ण जीतना भी एक कीर्तिमान है। उषा ने अब तक 101 अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं। वह दक्षिण रेलवे में अधिकारी पद पर कार्यरत हैं। 1985 में उन्हें पद्म श्री व अर्जुन पुरस्कार दिया गया। उषा की इच्छा सियोल एशियाड में भारत के लिए कोई सफलता पाने की है। इसके लिए गहन अभ्यास निरंतर जारी है।

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App