हिमाचल में एथलेटिक्स का सफर

By: Jun 8th, 2018 12:05 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

राज्य में इस समय धर्मशाला व हमीरपुर में दो जगह सिंथेटिक ट्रैक बनकर तैयार हैं तथा बिलासपुर व शिलारू में निर्माणाधीन हैं। राज्य में इस समय कई एथलेटिक्स प्रशिक्षक व शारीरिक शिक्षक कई जगह किशोर व युवा धावकों व धाविकाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं…

मानव विस्थापन की क्रियाओं में दौड़ना, चलना, फेंकना व कूदने को एथलेटिक्स का जब प्रतियोगी रूप दिया तो ईसा पूर्व 770 वर्ष से ही रोम में ओलंपिक खेलों का जन्म हुआ था। बाद में विस्थापन की इन्हीं क्रियाओं से विश्व के सभी खेलों का जन्म हुआ, इसलिए एथलेटिक्स को सभी खेलों की जननी कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश में अस्सी के दशक में डा. पद्म सिंह गुलेरिया ने सचिव बनकर अध्यक्ष ब्रिगेडियर पूरेवाल के सहयोग से राज्य एथलेटिक्स संघ का गठन किया था। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय तथा राज्य स्कूली क्रीड़ा संगठन के माध्यम से राज्य में पहले से ही एथलेटिक्स प्रतियोगिताएं लगभग  हर वर्ष आयोजित हो रही थीं। ऊना के स्वर्गीय सुरेश पठानिया ने पंजाब की तरफ से राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेते हुए पदक जीता था, मगर हिमाचल की तरफ से पहली बार ऊना के भवानी अग्निहोत्री ने अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक प्रतियोगिता में हिमाचल के लिए स्वर्ण पदक जीता था। उसके बाद सुमन रावत ने अगले एक दशक तक भारतीय एथलेटिक्स की लंबी दूरी की दौड़ों में अपनी श्रेष्ठता कायम रखी थी। सियोल एशियाई खेल 1986 में 3000 मीटर दौड़ में देश के लिए कांस्य पदक जीतकर प्रदेश का नाम बढ़ाया और इसी के लिए अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया।

हिमाचल प्रदेश की एक अन्य धाविका स्वर्गीय कमलेश कुमारी ने भी एशियाई प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। पुरुष वर्ग में अमन सैणी ने लंबी दूरी की दौड़ों में प्रदेश के लिए कई पदक राष्ट्रीय स्तर पर जीते हैं। एशियाई क्रॉस कंट्री में भी इस धावक ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है। तेज गति की दौड़ों में हिमाचल के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतना टेढ़ी खीर है, मगर हमीरपुर की पुष्पा ठाकुर ने 400 मीटर की दौड़ में कई बार फाइनल में जगह बनाकर प्रदेश के लिए पदक भी जीता है। प्रक्षेपण में हिमाचल प्रदेश के रिकार्डों को देखें तो वह राष्ट्रीय स्तर के लिए क्वालिफाई से भी बहुत पिछड़े हुए हैं, मगर भाला प्रक्षेपण में कुल्लू की संजो देवी राष्ट्रीय विजेता है। इस धाविका ने भाला प्रक्षेपण में अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय का रिकार्ड बनाकर वर्ल्ड यूनिवर्सिटी खेलों के लिए क्वालिफाई भी किया था। राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं तथा राष्ट्रीय खेलों में पदक जीतने वाली संजो देवी अगर थोड़ा समय एथलेटिक्स को और दे पाती तो वह काफी आगे तक का सफर कर सकती थी।

इस समय राज्य में सीमा देवी यूथ आयु वर्ग में देश की स्टार धाविका है। एशियाई स्तर पर कांस्य पदक जीतने वाली इस धाविका ने राष्ट्रीय कीर्तिमान भी अपने नाम कर रखे हैं। इस समय यह धाविका आजकल जापान में हो रही कनिष्ठ एशियाई एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है। राज्य में इस समय प्रशिक्षक केहर सिंह पटियाल के प्रशिक्षण कार्यक्रम में साई खेल छात्रावास धर्मशाला में सीमा सहित हीना ठाकुर, मनीषा ठाकुर, संगीता व कनीजो आदि कई नाम जो भविष्य में अगर अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी रखते हैं तो अंतरराष्ट्रीय स्तर तक भारत को गौरव दिला सकते हैं। पुरुष वर्ग में इस समय सावन बरवाल, अंकेष चौधरी व दिनेश चौधरी सहित और भी कई कनिष्ठ धावक राज्य के विभिन्न जिलों में तैयारी कर रहे हैं। मंजु कुमारी, आशा कुमारी, रीता कुमारी, वनीता ठाकुर, कला देवी, प्रोमिला कुमारी, दिनेश कुमार, राकेश कुमार, प्रवीण कुमार, संजय, सुंदर, स्वर्गीय रितेश रतन डोगरा आदि कई नाम हैं, जो अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय तथा कनिष्ठ राष्ट्रीय एथलेक्टिस में हिमाचल के लिए पदक जीतकर भी गुमनामी में खो गए। इन खेल परिणामों को देखने से पता चलता है कि राज्य के धावकों व धाविकाओं का राष्ट्रीय स्तर पर लंबी दूरी की दौड़ों में काफी दबदबा रहा है। हिमाचल को प्रतिभा खोज में लंबी व मध्य दूरी की दौड़ों के लिए उपयुक्त क्षेत्र माना है। इसके बावजूद प्रतिभा किसी भी स्पर्धा में हो सकती है। संजो देवी ने भाला प्रक्षेपण में राष्ट्रीय स्तर पर यह पदक जीतकर कई बार सिद्ध किया है। प्रोमिला देवी ने भी अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय खेलों में 200 मीटर की दौड़ में रजत पदक जीतकर मिथक को झुठलाया है। पुष्पा ठाकुर ने राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं के फाइनल में कई बार 400 मीटर में पहुंच कर प्रदेश के लिए पदक भी जीता है। 1998 एशियाई खेल, 2004 के ओलंपिक खेल तथा 2005 की एशियाई एथलेटिक्स प्रतियोगिता के लिए लगे राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में चयनित होकर राज्य में तेज गति की दौड़ की संभावनाओं को जीवित रखा है।

राज्य में इस समय धर्मशाला व हमीरपुर में दो जगह सिंथेटिक ट्रैक बनकर तैयार हैं तथा बिलासपुर व शिलारू में निर्माणाधीन हैं। राज्य में इस समय कई एथलेटिक्स प्रशिक्षक व शारीरिक शिक्षक कई जगह किशोर व युवा धावकों व धाविकाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्ले फील्ड मिलने के बाद उनसे अपेक्षा रहेगी कि प्रदेश व देश को कई उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले धावक तैयार करें। राज्य के दस जिलों में इस समय जिला एथलेटिक्स संघ अपना कार्य ठीक से कर रहे हैं। हर जिला अपनी एथलेटिक्स प्रतियोगिता हर वर्ष करवा रहे हैं। हमीरपुर जिला ने तो इस बार एक हजार से भी अधिक प्रतियोगिताओं के लिए प्रतियोगिता करवाई है। लाहुल-स्पीति तथा किन्नौर में जिला संघ बनने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।

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