हिमाचल सरकार पर लगी 25 हजार रुपए की कॉस्ट

By: Jun 21st, 2018 12:05 am

शिमला — हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित मामले में जवाब दायर न किए जाने के मामले में उस पर 25 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने स्टेट फीस निर्धारण कमेटी द्वारा महर्षि मार्कंडेश्वर विश्वविद्यालय में  एमबीबीएस कोर्स के लिए फीस निर्धारित किए जाने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका में उक्त आदेश पारित किए। मार्कंडेश्वर विवि में एमबीबीएस कोर्स कर रहे छात्रों के अभिभावकों द्वारा फीस निर्धारण के निर्णय को चुनौती दी गई है। अपने पिछले आदेशों के तहत खंडपीठ ने स्पष्ट किया था कि उनके द्वारा जमा की गई फीस हाई कोर्ट के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगी। स्टेट फीस निर्धारण कमेटी द्वारा आठ मार्च को एमएमयू में एमबीबीएस कोर्स के लिए फीस का निर्धारण किया गया, जिसके तहत आईआरडीपी वाले छात्रों के लिए वही फीस रखी गई, जो कि सरकारी कालेज में जनरल श्रेणी के छात्रों के लिए है। स्टेट कोटे के अंतर्गत भरी गई सीटों के लिए इस समय पांच लाख फीस है और सत्र 2016-2017 के लिए पांच फीसदी, सत्र 2017-2018 के लिए दस फीसदी और सत्र 2018-2019 के लिए पंद्रह फीसदी फीस बढ़ाए जाने का निर्णय लिया गया है। इसी तरह मैनेजमेंट कोटे के लिए भी यही फीस वृद्धि निर्धारित की गई है। इस मामले में प्रदेश हाई कोर्ट ने तीन जनवरी को राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया। 28 मार्च, 12 अप्रैल, 19 अप्रैल, दो मई व नौ मई को अदालत ने राज्य सरकार को जवाब दायर करने के लिए अतिरिक्त समय दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने इस मामले में कोई भी जवाब दायर नहीं किया और अदालत से जवाब दायर करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग करते रहे। खंडपीठ ने राज्य सरकार के अदालत के आदेशों के प्रति नकारात्मक रवैया अपनाए जाने पर राज्य सरकार को 25 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है। मामले की अगली सुनवाई चार जुलाई को निर्धारित की गई है।


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