11 मई, 1921 को महात्मा गांधी पहली बार शिमला आए

By: Jun 13th, 2018 12:05 am

11 मई, 1921 को गांधी जी शिमला पधारे। उनके साथ मौलाना मुहम्मद अली, शौकत अली, लाला लाजपतराय, मदन मोहन मालवीय, लाला दुनी चंद अम्बालवी आदि नेता भी आए। 13 मई को गांधी जी वायसराय लार्ड रीडिंग से मिले। दूसरे दिन गांधी जी ने लोअर बाजार शिमला के आर्य समाज के हाल में महिलाओं को संबोधित किया…

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापनाः इस समय राजनीतिक रंगभूमि में राष्ट्रीय मुक्ति-आंदोलन के भावी नेता मोहन दास कर्मचंद गांधी (1869-1948) का अवतरण, जो 1914 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौट आए थे, सामाजिक-राजनीतिक विकास की एक महत्त्वपूर्ण घटना थी। तभी से कांग्रेस के भीतर गांधी जी का प्रभाव तेजी से बढ़ने लगा और वह राष्ट्रीय आंदोलन के सर्वमान्य नेता बनने लगे। सन् 1920 ई. से कांग्रेस आंदोलन से जोर पकड़ा। इसी वर्ष नाहन-सिरमौर के चौधरी शेर जंग ने कांग्रेस की सदस्यता ली और जन-आंदोलन में कूद पड़े। सिरमौर के दूसरे देशभक्त पंडित राजेंद्र दत्त ने इसी अवधि में कांग्रेस में प्रवेश करके सिरमौर में स्वाधीनता आंदोलन आरंभ किया। कांगड़ा के पालमपुर में लाला बक्शीराम देहरा-गोपीपुर के बाबा कांशीराम प्रमुख थे। 1920 ई. में ही गांधी जी के आह्वान पर कांगड़ा में पंचम चंद्र कटोच, सर्व मिश्र, बक्शी राम, पाल सिंह, सिद्धू राम, थोहली राम आदि लोग कांग्रेस के कार्यकर्ता बन गए। मई 1921 ई. में शिमला में कांग्रेस का पहला प्रतिनिधि संगठन बनाया गया। इसमें शिमला नगर के मौलवी गुलाम मुहम्मद कांग्रेस के प्रधान चुने गए। इसके अतिरिक्त भागीरथ लाल उपप्रधान, मुहम्मद उमर नुमानी मंत्री, द्वारिका प्रसाद उपमंत्री और लाला घुंघर मल खजांची चुने गए। मौलवी अब्दुलगनी, चिरंजी लाल आढ़ती, हरिशचंद्र, गोकुल चंद, प्यारे लाल, केदारनाथ सूद राणा होशियारपुर सिंह, राम किशन बजाज, स्वामी रामानंद, मोहन लाल सूद और वकील हरिशचंद्र सूद शिमला कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्य बने। महात्मा गांधी का शिमला आगमन ः 11 मई, 1921 को गांधी जी शिमला पधारे। उनके साथ मौलाना मुहम्मद अली, शौकत अली, लाला लाजपतराय, मदन मोहन मालवीय, लाला दुनी चंद अम्बालवी आदि नेता भी आए। 13 मई को गांधी जी वायसराय लार्ड रीडिंग से मिले। दूसरे दिन गांधी जी ने लोअर बाजार शिमला के आर्य समाज के हाल में महिलाओं को संबोधित किया। 15 मई को उन्होंने 15 हजार से अधिक के एक जनसमूह को ईदगाह मैदान पर संबोधित किया। शिमला के आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों से भी लोग गांधी जी के दर्शन के लिए आए थे। गांधी जी के शिमला आगमन ने इस पर्वतीय क्षेत्र के लोगों का ध्यान राष्ट्रीय विचारधारा की ओर आकृष्ट किया। लगभग 1922 के पश्चात जुब्बल रियायत के गांव धार के इंजीनियर भागमल सौहटा ने राष्ट्रीय आंदोलन में प्रवेश किया। श्री सौहटा ने शिमला में माल रोड पर स्थित अपने इंपीरियल होटल के निवास से स्वाधीनता आंदोलन का कार्य आरंभ किया। सन् 1922, 1923 तक शिमला में कांग्रेस आंदोलन ने जोर पकड़ा। इसमें पंडित गैंडामल, मौलाना मुहम्मद नौनी, अब्दुल गनी, गुलाम मुहम्मद नकबी, ठाकुर भागीरथ लाल, हकीम त्रिलोकीनाथ भाग लेने वाले थे।

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