आंध्र प्रदेश के अद्भुत शिव मंदिर

By: Jul 21st, 2018 12:08 am

दक्षिण भारत का हर राज्य अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ अपने सांस्कृतिक महत्त्व के लिए काफी प्रसिद्ध है। धर्म आस्था को लेकर दक्षिण भारतीय काफी ज्यादा सक्रिय हैं।  दक्षिण भाषाई भिन्नता होने के बावजूद यहां के निवासी एकजूट होकर अनुष्ठान करने में विश्वास रखते हैं, जो भारत की मुख्य विशेषताओं में शामिल है। अगर आप यहां के धार्मिक पहलुओं को करीब से जानने की कोशिश करेंगे, तो पता चलेगा कि यहां प्रमुख हिंदू देवी-देवताओं के साथ स्थानीय इष्ट देवताओं को भी बड़ा दर्जा मिला हुआ है, जिनके मंदिर भी काफी बड़े और भव्य रूप में बनाएं गए हैं। मुख्य हिंदू देवी-देवताओं के कई अवतारों की पूजा दक्षिण भारत में की जाती है। यहां आप वैष्णव मंदिरों के साथ-साथ कई भव्य शैव मंदिरों को भी देख सकते हैं। जानिए आंध्र प्रदेश के चुनिंदा सबसे खास भगवान शिव के मंदिरों के बारें में।

भगवान मल्लिकार्जुन मंदिर- आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम स्थित भगवान शिव का यह प्रसिद्ध मंदिर देश में बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसलिए यह महादेव के अनुयायियों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिर्लिंग होने के अलावा, यहां विराजमान देवी भ्रामारंबा के कारण यह मंदिर अष्टदश महाशक्ति पीठ  में भी गिना जाता है। ज्योतिर्लिंगम और महाशक्ति पीठ के इस अद्वितीय संयोजन के कारण यह स्थान हिंदू श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है।  श्रीशैलम का यह मंदिर शहर के नल्लामाला पर्वत की एक पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर कृष्णा नदी के तट पर राज्य के कुर्नूल जिले में स्थित है। कालहस्ती -आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित श्री कालहस्ती मंदिर राज्य के चुनिंदा सबसे खास शिव मंदिरों में गिना जाता है। यह पवित्र मंदिर शहर में स्वर्णमुखी नदी के तट पर स्थित है और प्रसिद्घ तिरुपति के बहुत ही करीब है। इतिहास पर नजर डालें, तो पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में चोल राजवंश के शासनकाल के दौरान हुआ था। माना जाता है कि इस प्राचीन मंदिर में भगवान शिव वायु रूप में मौजूद हैं, जिनकी पूजा कालहस्तेश्वर के रूप में की जाती है। यहां शिवलिंग की पूजा वायूर लिंगम के रूप में और माता पार्वती की पूजा श्री ज्ञान प्रसुणंबा के रूप में की जाती है। मुख्य देवताओं के अलावा, यह मंदिर राहु और केतु की विशेष पूजा के लिए जाना जाता है।

श्री राजा राजेश्वर स्वामी मंदिर- श्री राजा राजेश्वर स्वामी मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन प्रसिद्ध मंदिर है। भगवान शिव का यह मंदिर राज्य के करीमनगर जिले के अंतर्गत वेमुलावाड़ा नामक एक छोटे शहर में स्थित है। मंदिर के प्रमुख देवता भगवान राजा राजेश्वर स्वामी यहां नीला लोहित शिव लिंगम के रूप में विराजमान हैं। यह स्थान दक्षिण काशी के नाम से भी जाना जाता है। भीमेश्वर स्वामी मंदिर -भीमेश्वर स्वामी मंदिर दक्षिण भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण शिव मंदिरों में से एक है। यह स्थान हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान है, क्योंकि इस मंदिर की गिनती शिव पंचरामों और ‘अष्टदश महाशक्ति पीठ’ में होती है। इसलिए यह मंदिर न केवल प्रसिद्ध शिव खेत्रम बल्कि एक महत्त्वपूर्ण शक्तिपीठ भी है। भगवान शिव की इस मंदिर में पूजा भगवान भीमेश्वर के रूप में की जाती है। मंदिर की मुख्य देवी माणिक्यंबा हैं। यह पवित्र तीर्थस्थान आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में स्थित है।

यज्ञती मंदिर- यज्ञती उमा महेश्वर मंदिर भी भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है। इस मंदिर का निर्माण वैष्णव परंपराओं के अनुसार करवाया गया था। इस मंदिर को लेकर कई पौराणिक किवदंतियां भी जुड़ी हुई हैं, माना जाता है कि ऋषि अगस्त्य यहां भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर बनाने चाहते थे, मूर्ति बाद में बनाई गई, लेकिन उसकी स्थापना नहीं हो सकी क्योंकि मूर्ति के पैर की एक अंगुली का नाखून टूट गया था। ऋषि काफी दुखी हुए और उन्होंने भगवान शिव की तपस्या की। बाद में ऋषि की भगवान शिव से की गई प्रार्थना के अनुसार यज्ञती उमा महेश्वर के रूप में यहां माता पार्वती विराजमान हुईं।


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