कविता

By: Jul 12th, 2018 12:05 am

नीलम शर्मा, धमेटा, फतेहपुर

नहीं रहा नारी का सम्मान

इस देश में अब न सुरक्षित नारी का सम्मान रहा

नारी को देवी मानने वाला यह न हिंदुस्तान रहा

छोड़ो अब सभी ढकोसले

न झूठे आश्वासन दो

कर सकते हो तो कर दो नंगा

चौराहे पर दुशासन को

महाभारत की याद दिलाओ

अगर उसे नहीं ध्यान रहा

कभी लूट रहे हैं अस्मत उसकी

कभी कर रहे अपहरण हैं

अपने कुकर्मों से अपना ही मुंह काला कर रहे हैं

रावण ही लगता है बन गए हैं सारे

नहीं राम का इनको ध्यान रहा

कभी सुना सड़कों पर रोती

कभी जंगल में चिल्लाती है वह

कभी आत्महत्या तक कर जाती है

अब मां-बेटी का तिरस्कार हो रहा

नहीं संस्कारों का इनको ध्यान रहा

इस देश में अब न सुरक्षित नारी का सम्मान रहा

 


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