किसान की खेती से निकला सोना

By: Jul 15th, 2018 12:12 am

कहते हैं कि जब मन में कुछ करने की चाह हो, तो कितनी भी बाधाएं आ जाएं हम मंजिल तक पहुंच ही जाते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है असम के नौ गांव जिला के एक छोटे से गांव की रहने वाली हिमा ने। वह राजधानी गुवाहाटी में एक कैंप में हिस्सा लेने आई थीं। जब हिमा के कोच निपुण की नजर उस पर पड़ी तो वह उसकी प्रतिभा को भांप गए। 18 साल की इस बेटी  ने अपनी कामयाबी से अपने माता-पिता को भी एक पहचान दिला दी और साथ में गुरु ऐसा हो जिसके मन में एक विश्वास था कि चाहे कुछ भी हो जाए आज वह गोल्ड जीतने वाली है। किसी अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स ट्रैक पर भारतीय एथलीट के हाथों में तिरंगा और चेहरे पर विजयी मुस्कान, इस तस्वीर का इंतजार लंबे वक्त से हर हिंदोस्तानी कर रहा था। इंतजार की यह घड़ी गुरुवार देर रात उस समय खत्म हुई जब फिनलैंड के टैम्पेयर शहर में 18 साल की हिमा दास ने इतिहास रचते हुए आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में पहला स्थान प्राप्त किया। हिमा किसी भी अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स ट्रैक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गई हैं। असम की रहने वाली हिमा की इस अंतरराष्ट्रीय कामयाबी के बाद फिनलैंड से लेकर पूरे हिंदुस्तान तक चर्चा है। गुवाहाटी में मौजूद हिमा के कोच निपुण दास की आवाज में गर्व और खुशी के एहसास एक साथ महसूस किए जा सकते हैं। वह हंसते हुए कहते हैं कि मुझे यकीन था कि हिमा फिनलैंड में कुछ बड़ा करके आएगी, लेकिन वह गोल्ड जीत लेगी इसका अंदाजा रेस शुरू होने से पहले तक नहीं था।  शुरुआती 35 सेकंड तक हिमा शीर्ष तीन में भी नहीं थीं, हिंदोस्तान में आज तमाम लोग हिमा की चर्चा कर रहे हैं, लेकिन शायद ही किसी ने उन्हें फिनलैंड के ट्रैक पर लाइव दौड़ते हुए देखा होगा। उसकी कामयाबी को सिर्फ उसके कोच ही जानते थे। उन्हें पता था कि हिमा के दौड़ने का स्टाइल कैसा था, पहले वह धीमी दौड़ती है और लास्ट में जाकर अपनी गति पकड़ती है। शुरुआत में हिमा को फुटबाल खेलने का शौक था। वह अपने गांव या जिले के आसपास छोटे-मोटे फुटबाल मैच खेलकर 100-200 रुपए जीत लेती थी। फुटबाल में खूब दौड़ना पड़ता था, इसी वजह से हिमा का स्टैमिना अच्छा बनता रहा, जिस वजह से वह ट्रैक पर भी बेहतर करने में कामयाब रहीं। निपुण कहते हैं कि जब उन्होंने हिमा को फुटबाल से एथलेटिक्स में आने के लिए तैयार किया तो शुरुआत में 200 मीटर की तैयारी करवाई, लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि वह 400 मीटर में अधिक कामयाब रहेगी।

खेती का काम करते हैं पिता

हिमा एक संयुक्त परिवार से हैं। उनके घर में कुल 16 सदस्य हैं। घर की आर्थिक स्थिति ऐसी है कि बस अपने खाने-पीने की व्यवस्था हो जाती है, निपुण इस बारे में बताते हैं, हिमा के घर की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी भी नहीं है, उनके पिता किसान हैं, खेती-बाड़ी करते हैं, जबकि मां घर संभालती हैं। हिमा जिस जगह से आती हैं, वहां अक्सर बाढ़ भी आती रहती है, इस वजह से भी परिवार को कई बार आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति की बधाई

हिमा को मिली इस कामयाबी के बाद पूरा देश उन्हें बधाइयां दे रहा है। प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक ने उन्हें इस ऐतिहासिक कामयाबी के लिए ट्वीट कर बधाई दी है। हिमा ने भी सभी का धन्यवाद किया है और कहा है कि वह देश के लिए स्वर्ण पदक जीतकर बेहद खुश हैं व आगे भी और अधिक मेडल जीतने की कोशिश करेंगी।


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