किसी अजूबे से कम नहीं हैं रामायण के पात्र

By: Jul 28th, 2018 12:05 am

लक्ष्मण एक आदर्श अनुज हैं। राम को पिता ने वनवास दिया किंतु लक्ष्मण राम के साथ स्वेच्छा से वन गमन करते हैं। राम के साथ उनकी पत्नी सीता के होने से उन्हें आमोद-प्रमोद के साधन प्राप्त हैं, किंतु लक्ष्मण ने समस्त आमोदों का त्याग कर सेवाभाव को अपनाया…

-गतांक से आगे…

मायावी

मायावी रामायण के किष्किंधाकांड में एक भयानक असुर था। वह माया नाम की असुर स्त्री का पुत्र तथा दुंदुभि नामक असुर का बड़ा भाई बताया गया है। दोनों भाइयों का वध बालि के हाथों हुआ था।

मारीच

मारीच रामायण का एक दुष्ट पात्र है। मारीच ताड़का का पुत्र था तथा उसके पिता का नाम सुंद था।

माल्यवान

माल्यवान, रावण का मुख्य सचिव था।

मेनका

मेनका स्वर्गलोक की छह सर्वश्रेष्ठ अप्सराओं में से एक है। यह उल्लेख किया गया है कि उसने ऋषि विश्वामित्र की तपस्या भंग की। मेनका को स्वर्ग की सबसे सुंदर अप्सरा माना जाता था। मेनका वृषणश्र (ऋग्वेद 1-51-13) अथवा कश्यप और प्राधा (महाभारत आदिपर्व, 68-67) की पुत्री तथा ऊर्णयु नामक गंधर्व की पत्नी थी। अर्जुन के जन्म समारोह तथा स्वागत में इसने नृत्य किया था। अपूर्व सुंदरी होने से पृषत् इस पर मोहित हो गया जिससे दु्रपद नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। इंद्र ने विश्वामित्र का तप भ्रष्ट करने के लिए इसे भेजा था जिसमें यह सफल हुई और इसने एक कन्या को जन्म दिया। उसे यह मालिनी तट पर छोड़कर स्वर्ग चली गई। शकुन पक्षियों द्वारा रक्षित एवं पालित होने के कारण महर्षि कण्व ने उस कन्या को शकुंतला नाम दिया जो कालांतर में दुष्यंत की पत्नी और भरत की माता बनी। मेनका अप्सरा को इंद्र ने विश्वामित्र को उनकी तपस्या भंग करने को भेजा था। मेनका ने जब विश्वामित्र की तपस्या भंग की थी तब विश्वामित्र ने मेनका को श्राप दिया। कुछ दिन बाद मेनका ने विश्वामित्र के पुत्र को जन्म दिया। मेनका ने उस पुत्र को जंगल में छोड़ दिया था।

लंकिनी

लंकिनी एक राक्षसिन का नाम है।

लक्ष्मण

लक्ष्मण रामायण के एक आदर्श पात्र हैं। इनको शेषनाग का अवतार माना जाता है। रामायण के अनुसार, राजा दशरथ के तीसरे पुत्र थे, उनकी माता सुमित्रा थी। वे राम के भाई थे, इन दोनों भाइयों में अपार प्रेम था। उन्होंने राम-सीता के साथ 14 वर्षों का वनवास किया। मंदिरों में अक्सर ही राम-सीता के साथ उनकी भी पूजा होती है। उनके अन्य भाई भरत और शत्रुघ्न थे। लक्ष्मण हर कला में निपुण थे, चाहे वो मल्लयुद्ध हो या धनुर्विद्या।

आदर्श भाई

लक्ष्मण एक आदर्श अनुज हैं। राम को पिता ने वनवास दिया किंतु लक्ष्मण राम के साथ स्वेच्छा से वन गमन करते हैं-ज्येष्ठानुवृत्ति, स्नेह तथा धर्मभाव के कारण। राम के साथ उनकी पत्नी सीता के होने से उन्हें आमोद-प्रमोद के साधन प्राप्त हैं, किंतु लक्ष्मण ने समस्त आमोदों का त्याग कर केवल सेवाभाव को ही अपनाया। वास्तव में लक्ष्मण का वनवास राम के वनवास से भी अधिक महान है।

भाई के लिए बलिदान की भावना का आदर्श

वाल्मीकि रामायण के अनुसार राक्षस कबंध से युद्ध के अवसर पर लक्ष्मण राम से कहते हैं, ‘हे राम! इस कबंध राक्षस का वध करने के लिए आप मेरी बलि दे दीजिए। मेरी बलि के फलस्वरूप आप सीता तथा अयोध्या के राज्य को प्राप्त करने के पश्चात् आप मुझे स्मरण करने की कृपा बनाए रखना।’

सदाचार का आदर्श

सीता की खोज करते समय जब मार्ग में सीता के आभूषण मिलते हैं तो राम लक्ष्मण से पूछते हैं, ‘हे लक्ष्मण! क्या तुम इन आभूषणों को पहचानते हो?’ लक्ष्मण ने उत्तर में कहा, ‘मैं न तो बाहों में बंधने वाले केयूर को पहचानता हूं और न ही कानों के कुंडल को। मैं तो प्रतिदिन माता सीता के चरण स्पर्श करता था। अतः उनके पैरों के नूपुर को अवश्य ही पहचानता हूं।’ सीता के पैरों के सिवा किसी अन्य अंग पर दृष्टि न डालना सदाचार का आदर्श है।

वैराग्य की मूर्ति

बड़े भाई के लिए चौदह वर्षों तक पत्नी से अलग रहना वैराग्य का आदर्श उदाहरण है।

लक्ष्मण के पुत्र

लक्ष्मण के अंगद तथा चंद्रकेतु नामक दो पुत्र हुए जिन्होंने क्रमशः अंगदीया पुरी तथा चंद्रकांता पुरी की स्थापना की।


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