छवि-हनन का खेल

By: Jul 1st, 2018 12:12 am

 वैश्विक स्तर पर किए गए किसी सर्वेक्षण का इतना छोटा सैंपल साइज आश्चर्य से कम तो नहीं कहा जा सकता। यह सैंपल साइज ही इस सर्वेक्षण को हास्यास्पद बना देता है, लेकिन सबसे बड़ा आश्चर्य तो इसका मीडिया कवरेज था। मीडिया के पूर्वाग्रही वर्ग ने इस सर्वेक्षण को इस तरह हाथोंहाथ लिया मानों किसी ने इस सर्वेक्षण के जरिए उसकी मनचाही मुराद पूरी कर दी हो…

मौजूदा दौर में मीडिया की बदौलत सब कुछ छवि केंद्रित हो गया है। राजनीति, अर्थनीति, संस्कृति और कूटनीति सब में मीडिया को केंद्रीय भूमिका मिलती जा रही है। यदि किसी व्यक्ति, देश अथवा विचारधारा के पास ताकतवर मीडिया प्लेटफार्म है, तो आसानी से छवि गढ़ने और छवि-हनन का खेल खेला जा सकता है। प्रायः ऐसा खेल तथ्यों की मनमानी व्याख्या द्वारा खेला जाता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण थॉमस रायटर्स फाउंडेशन द्वारा कराया गया एक वैश्विक सर्वेक्षण और इस सर्वे का मीडिया सर्वेक्षण है। यह एक रोचक तथ्य है कि फाउंडेशन ने इस वैश्विक सर्वे में महज 558 लोगों से बातचीत कर अपने निष्कर्ष निकाले। इस संस्था के अनुसार सर्वेक्षण का मकसद मकसद यह देखना था कि अलग-अलग देशों का महिला सुरक्षा के मोर्चे पर क्या हाल है।  वैश्विक स्तर पर किए गए किसी सर्वेक्षण का इतना छोटा सैंपल साइज आश्चर्य से कम तो नहीं कहा जा सकता। यह सैंपल साइज ही इस सर्वेक्षण को हास्यास्पद बना देता है, लेकिन सबसे बड़ा आश्चर्य तो इसका मीडिया कवरेज था। मीडिया के पूर्वाग्रही वर्ग ने इस सर्वेक्षण को इस तरह हाथोंहाथ लिया मानों किसी ने इस सर्वेक्षण के जरिए उसकी मनचाही मुराद पूरी कर दी हो। हैरत की बात यह है कि सर्वेक्षण में भारत को महिलाओं को खतरे के मामले में युद्ध पीडि़त अफगानिस्तान  और सीरिया से भी आगे रखा गया है। जबकि  सीरिया में आईएसआईएस द्वारा महिलाओं की मंडी लगाने संबंधी ये खबरें अभी ज्यादा पुरानी नहीं हैं। खाड़ी के अन्य देशों में महिलाओं की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अभी साऊदी अरब में महिलाओं को ड्राइविंग करने की इजाजत देने पर जश्न मना। ऐसे में महिलाओं के लिहाज से भारत को सबसे खतरनाक देश बताने की कहानी कुछ और ही हो सकती है। सर्वेक्षण के अनुसार भारत के महिलाओं के  लिए सबसे खतरनाक देश होने के पीछे सांस्कृतिक और धार्मिक कारण हैं। यह कथन बताता है कि सर्वेक्षण का उद्देश्य सांस्कृतिक छवि हनन है, जिसका उद्देश्य लोगों में अपनी संस्कृति के प्रति वितृष्णा पैदा करना है। अंततः सर्वेक्षण ममांतरण की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं। यदि कही कमी है तो उसको स्वीकार करना और दूर करना एक राष्ट्र के नाते सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है, लेकिन यह जिम्मेदारी किसी का मोहरा बनकर तो निभाई नहीं जा सकती।


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