जीएसटी…कारोबार घटा, टेंशन बढ़ी

By: Jul 2nd, 2018 12:05 am

देशभर में एक समान टैक्स लगाने, व्यापार में पारदर्शिता लाने, राजस्व बढ़ाने और कागजी कार्रवाई को समाप्त करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने बीते वर्ष एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किया। इससे व्यापरियों को उम्मीद थी कि अब बेवजह के पचड़े में नहीं पड़ना पड़ेगा, लेकिन एक साल पूरा होने के बाद भी असर मिला जुला ही देखने को मिला है। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू हुए एक साल हो गया है, लेकिन व्यापारियों के लिए जीएसटी सरल नहीं बन सका है। 70 फीसदी कारोबारियों का व्यापार मुनीम और सीए के भरोसे चल रहा है…             तनुज सैणी, धर्मशाला

छोटे दुकानदारों पर शिकंजा

कोतवाली बाजार व्यापार मंडल के अध्यक्ष नरेंद्र जमवाल का कहना है कि जीएसटी का व्यवसाय पर कुछ खास असर नहीं पड़ा है। हालांकि इस टैक्स से छोटे दुकानदारों पर शिकंजा कसा है, जबकि बडे़ दुकानदारों पर इसका कोई खास असर नहीं है। जीएसटी के कारण सामान सस्ता ही नहीं हुआ है बल्कि कुछ उत्पादों के दाम भी बढ़े हैं।  जीएसटी के कारण प्रॉफिट भी 15 से 20 प्रतिशत तक कम हुआ है। वहीं, दूसरी ओर कागजी काम बढ़ गया है।

सामान की बिक्री में आई गिरावट

भारत वैद  का कहना है कि जीएसटी से उनके कारोबार को बहुत अधिक नुकसान हुआ है। उनका कहना है कि घर में उपयोग होने वाली कई वस्तुओं पर 28 प्रतिशत तक टैक्स लगा दिया है, जिससे अब सामान की बिक्री में 30 से 40 प्रतिशत तक गिरावट आई है। इसके कारण पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष काफी अधिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।

जीएसटी से मंहगा हुआ सामान

रेस्टोरेंट व्यवसायी अतुल शर्मा का कहना है कि जीएसटी के कारण हर सामान महंगा हुआ है। दूसरी ओर दामों को निर्धारित नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके कारण मध्यम वर्गीय दुकानदारों के कारोबार पर खासा असर पड़ा है। इतना ही नहीं, ऋण लेकर कारोबार करने वाले तथा लघु उद्योग चलाने वाले व्यवसायी कारोबार को छोड़ रहे हैं। उनका कहना है कि जीएसटी के कारण एक नंबर का कारोबार घटा है, जबकि दो नंबर का कारोबार बढ़ा है।

दुकानदारों-ग्राहकों को फायदा

कोतवाली बाजार के ए-वन ट्रेडिंग कंपनी के कारोबारी जितेंद्र अरोड़ा का कहना है कि जीएसटी के कुछेक कारोबारियों द्वारा समझ न पाने से बवाल बनाया हुआ है। उनका कहना है कि ईमानदारी से कार्य करने वाले सभी कारोबारियों को और ग्राहकों को भी लाभ ही हुआ है। इससे पहले टैक्स की विभिन्न स्तरों पर भरपाई करने पड़ती थी, इसमें सी फार्म कारोबारियों को सबसे बड़े झझंट में फंसाता था। सी फार्म सहित कई अन्य टैक्स खत्म होने से अब टैक्स भी कम देना पड़ रहा है।

मेलों पर जीएसटी कहां

कारोबारी अजिंद्र ओबराय का कहना है कि जीएसटी लगने की शुरुआत में व्यापार पर कुछ असर पड़ा था, लेकिन अब कोई समस्या नहीं है। जीएसटी लगने के कारण व्यवसाय में 20 से 25 प्रतिशत तक की कमी हुई है। इस टैक्स के कारण प्रदेश  के लघु उद्योगों पर असर पड़ा है। अकाउंट की पूरा रिकार्ड रखने की पेचिदगियों से बचने के लिए लघु उद्योग चलाने वाले कारोबारियों ने अपना धंधा छोड़ा है। जीएसटी के कारण 15 प्रतिशत प्रॉफिट भी कम हुआ है।   जिन्होंने जीएसटी नंबर लिया है वे तो टैक्स भर रहे हैं पर मेलों में दुकानें लगाने वाले छोटे दुकानदार लाखों रुपए का सामान बेच रहे हैं उन पर कोई नियंत्रण नहीं हो रहा है।


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