जो पीछे नहीं लौटा

By: Jul 14th, 2018 12:05 am

अपने युग के प्रख्यात जेन गुरु गुडो एक घुमंतू भिक्षुक का जीवन जिया करते थे। एक यात्रा के दौरान उन्हें एक गांव में रुकना पड़ा। हुआ यह कि तेज बारिश और कीचड़ से भरे रास्तों पर चलते-चलते उनकी पुआल से बनी पगरखी लीर-झीर हो गई। एक जगह ऐसी ही पगरखियां बिकने के लिए पड़ी देख कर वे रुक गए।

पगरखियां बेचने वाली उक स्त्री थी। गुडो को भीगी हालत में देख कर उसने उनसे एक रात अपने घर रुकने का आगह किया। गुडो उसका आग्रह रखते हुए उसके यहां ठहर गए। घर में आने के बाद गुडो पूजा-स्थल के सम्मुख बैठ गए और कुछ देर सूत्र पाठ करते रहे। इसके बाद वे दुकानदार स्त्री का वृद्धा मां और उनके बच्चों से मिले। गुडो ने पाया कि हर कोई उदास है। गुडो ने कारण पूछा।

मेरे पति बला के जुआरी और शाराबी हैं, स्त्री अपना दुखड़ा सुनाने लगी, जुए में जीते चाहे हारें, शाराब हर हाल में पी कर आते हैं। जीत गए तो जीत के पैसों से और हार गए तो उधार खाते में। कितनी ही बार तो धुत्त होकर वहीं गिरे रहते हैं और रात भर घर ही नहीं लौटते और जब भी घर लौटते हैं, वही गाली-गलौज और मारपीट समझ में नहीं आता मैं क्या करूं?

अच्छा मैं कुछ उपाय करता हूं, गुडो ने कहा, ये पैसे लो और एक गैलन बढि़या और कुछ बढि़या या खाने को मंगवा कर मेरे पास रख दो फिर तुम सौ जाओ। मैं यहां बैठ कर ध्यान करूंगा। कोई आधी रात बीतने पर गृहस्वामी नशे में धुत्त हालत में लौटा और दरवाजे पर ठोकर मारते हुए बोला, ऐ बीबी, हम लौट आए हैं कुछ खाने को मिलेगा?

हां-हां, क्यों नहीं। गुडो ने दरवाजा खोल कर उसका स्वागत किया, तुम्हारी पत्नी बड़ी नेक है। मुझे भीगी हालत में देख कर उसने रात भर ठहरने को जगह दे दी। मैंने तम्हारे लिए शाराब और मछली का इंतजाम कर रखा है। मेरी यह दावत कबूल करो। गृहस्वामी की मानो मुराद मिल गई। वह एक ही बार में सारी शाराब गटक गया और वहीं फर्श पर ढेर हो गया। गुडो उसके पास बैठ कर ध्यान मग्न हो गए। सुबह आंख खुलने पर गृहस्वामी को कुछ भी याद नहीं था। उसने अपने बाजू में ध्यान र्मन बैठे गुडो को पूछा, कौन हो तुम? कहां से आए हो?

मैं क्याटो शहर का वासी हूं, गुडो ने शांति से आंखें खोलते हुए जवाब दिया, और आगे ईडो शहर को जाऊंगा। आदमी एकदम से होश आया जैसे उसने सम्राट के गुरु के रूप में प्रख्यात गुडो से क्षमायाचना की। गुडो ने मंद मुस्कान के साथ बोलना शुरू किया, जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। जीवन की अवधि भी बड़ी छोटी है। तुम जुआ खेलते और शाराब पीते रहे, तो और कुछ करने के लिए तुम्हारे पास वक्त भी नहीं बचेगा। अलबत्ता अपने परिवार को सताने का दोष भी तुम्हारे सिर मढा रहेगा।

गृहस्वामी जैसे सपने से जागा हो, बोलाख् आप बिलकुल ठीक कह रहे हैं। मैं इस बात को कभी नहीं भूलूंगा। क्या आप मुझे अपना समान उठाकर थोड़ी दूर अपने साथ चलने की अनुमति देंगे? तुम्हारी इच्छा गुडो ने उठते हुए कहा। दोनों साथ-साथ चल पड़े। जब तीन मील चल चुके, तो गुडो ने गृहस्वामी को लौट जाने की सलाह दी।

बस अगले पांच मील और गृहस्वामी ने गुडो से प्रार्थना की। वे चलते रहे। पांच मील बाद गुडो ने फिर कहा, अब तुम लौट सकते हो। अगले दस मील बाद । गृहस्वामी ने इशरा भरे लहजे में कहा, अब तो लौट जाओ। दस मिनट बाद गुडो ने फिर याद दिलाया। अब मैं अपनी बाकी की बची जिंदगी तक आपके पीछे चलने वाला हूं। गृहस्वामी ने अपना इरादा स्पष्ट कर दिया। जापान के आधुनिक जेन गुरु एक ऐसे जेन गुरु की शिष्य परंपरा से आते हैं, जो प्रख्यात जेन गुरु गुडो का शिष्य हुआ करता था। उसका नाम  मु-नान था यानी जो कभी पीछे नहीं लौटा।


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