ट्रकों की हड़ताल से उद्योगों के करोड़ों डूबे

By: Jul 21st, 2018 12:07 am

शिमला— शुक्रवार को ट्रकों के पहिए थम जाने से हिमाचल प्रदेश में उद्योपतियों और सीमेंट फैक्टरियों को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। प्रदेश में स्थापित उद्योगों के लिए बाहर से रॉ मटीरियल लाने का काम ट्रकों के माध्यम से किया जाता है, वहीं यहां तैयार सामान को भेजने का काम भी इनके माध्यम से होता है, मगर अखिल भारतीय स्तर पर हुई ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल के चलते यहां उद्योग धंधों को बड़ा नुकसान हुआ है। प्रदेश में सेब और सब्जियों की ढुलाई पर ट्रकों की हड़ताल का कोई असर नहीं हुआ और मंडियों से फल व सब्जियों की सप्लाई इनके माध्यम से जारी रही। राज्य में करीब 90 हजार ट्रक हैं, जिसमें से अकेले बद्दी-बरोटीवाला व नालागढ़ इंडस्ट्रियल एरिया में ही 10 हजार से अधिक ट्रक दौड़ते हैं। प्रदेश के दूसरे इंडस्ट्रियल एरिया में भी ट्रकों की तादाद काफी ज्यादा है, जिनके पहिए भी थमे रहे। ट्रकों की हड़ताल को लेकर पड़े असर पर यहां परिवहन महकमे ने भी चर्चा की, परंतु यह मामला सीधे रूप से केंद्र सरकार से जुड़ा है, लिहाजा प्रदेश सरकार इसमें कुछ नहीं कर सकती। परिवहन विभाग ने आधारभूत सुविधाओं की सप्लाई को लेकर चर्चा की, जिसमें बताया गया है कि विभिन्न मंडियों में फल व सब्जियां उतरीं भी और वहां से सप्लाई भी हुई हैं, जिसमें किसी तरह की बाधा नहीं आई। प्रदेश में सेब सीजन शुरू हो चुका है, जिसके लिए बाहरी राज्यों से भी ट्रकों को यहां पर आने के लिए विशेष रियायत दी गई है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने हड़ताल का आह्वान किया था, जिनके आह्वान पर यहां भी ट्रक ऑपरेटरों ने ट्रकों के पहिए रोक दिए। केंद्र सरकार की ट्रक ऑपरेटरों के प्रति नकारात्मक नीतियों के विरोध में यह हड़ताल थी। इससे पूर्व भी इस तरह की सांकेतिक हड़ताल की जा चुकी है, मगर ऑपरेटरों के मसले हल नहीं हो पाए हैं। इनकी मांग है कि डीजल के दाम को जीएसटी के दायरे में लाया जाए, वहीं माल ढुलाई का दाम तय किया जाए क्योंकि कंपनियां इसमें मनमर्जी कर रही हैं। साथ ही उन टोल बैरियरों को बंद करने की मांग की जा रही है, जिनका सरकार के साथ करार खत्म हो चुका है। इस कारण से ट्रकों को छह से सात फीसदी टैक्स की राशि कुल वसूल किए किराए की एवज में चुकानी पड़ती है। थर्ड पार्टी इंश्योरेंस व अन्य कई तरह की समस्याओं को लेकर ऑपरेटर हड़ताल कर रहे हैं। प्रदेश में सीमेंट फैक्टरियों के साथ भी ट्रक ऑपरेटरों के कई मसले हैं, जो सुलझने का नाम नहीं ले रहे हैं। इस देशव्यापी हड़ताल का असर केंद्र सरकार पर कितना होगा यह समय बताएगा। परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर का कहना है कि ट्रकों की हड़ताल के बावजूद प्रदेश में जरूरी सुविधाओं को बंद नहीं किया गया, जिससे आम जनजीवन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है।


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