देश पर हावी होता भीड़तंत्र

By: Jul 27th, 2018 12:05 am

राजेश कुमार चौहान

पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीटर पर गोरक्षा और बीफ के नाम पर हिंसा फैलाने की कोशिशों की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों से सख्ती से निपटना चाहिए। इसके लिए उन्होंने राज्य सरकारों को भी विशेष हिदायतें दी थीं। भीड़ की हिंसा की भयानक घटनाएं इतिहास में भी बहुत से देशों में भी होती आई हैं। 1949 में दक्षिण अफ्रीका में 142 भारतीयों को और फिर 1985 में 55 भारतीयों को भीड़ ने मौत के घाट उतार दिया था। आज जो आजाद भारत में हिंसक भीड़ से कानून हारता दिख रहा है, तो उसका कारण लोगों का कानून से इसकी लाचार व्यवस्था के कारण भरोसा उठना है। न्यापालिका की कछुआ चाल और हिंसा करने वालों पर उनका बचाव करने में सत्ताधारियों, राजनेताओं की छत्रछाया होना है। अगर सरकार हिंसक भीड़ के लिए सख्ती दिखाए, कानून किसी राजनेता या सत्ताधारी के हाथ की कठपुतली न बनते हुए, इस भीड़तंत्र पर उचित कार्रवाई करे, तो देश में कभी भी भीड़ किसी की जान नहीं ले सकती है। भीड़तंत्र को अभी गंभीरता से नहीं लिया गया, तो देश में दिन-प्रतिदिन हिंसक भीड़ की घटनाएं बढ़ती जाएंगी, जो लोकतंत्र पर भी भारी पड़ सकती हैं। राजनेताओं और सत्ताधारियों को अपने वोट बैंक की चिंता छोड़कर देश की एकता व अखंडता की चिंता करनी चाहिए।

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App