देश में दस शरिया कोर्ट मंजूर

By: Jul 16th, 2018 12:05 am

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में प्रस्तावों पर मुहर, निकाह-हलाला का भी समर्थन

नई दिल्ली— शरिया कोर्ट को लेकर पूरे देश में चर्चा के बीच रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने इस मसले पर दिल्ली में बैठक की। बैठक में दस दारुल कजा (शरिया कोर्ट) के प्रस्ताव आए थे, जिन्हें बोर्ड ने मंजूरी दे दी है। जल्द ही इनका गठन किया जाएगा। बोर्ड की तरफ से कहा गया कि दारुल कजा देश की न्यायिक व्यवस्था के तहत आने वाले कोर्ट की तरह नहीं है यानी यह कोई समानांतर अदालत नहीं है। बोर्ड ने बीजेपी और आरएसएस पर शरिया कोर्ट के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया। एआईएमपीएलबी के सचिव और वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी ने बताया कि हमें दस जगह दारुल कजा स्थापित करने के प्रस्ताव मिले हैं। उनके मुताबिक, जल्द ही तीन जगह दारुल कजा गठित किए जाएंगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दारुल कजा समानांतर कोर्ट नहीं है। इस मसले पर मीडिया में बेवजह बवाल किया जा रहा है। जफरयाब जिलानी ने हर जिला में दारुल कजा का गठन करने की बात को नकारते हुए कहा कि हमने कभी भी देश के हर जिला में इसके गठन की बात नहीं कही। जफरयाब जिलानी ने मीडिया को संबोधित करते हुए हाल में चर्चा का विषय बने निकाह-हलाला के मसले पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने बताया कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड निकाह-हलाला का समर्थन करता है और अभी कुछ नहीं बदला जा सकता है। उन्होंने साफ कहा कि महिलाओं को इसे मानना होगा। हालांकि, बोर्ड की तरफ से यह भी कहा गया कि निकाह हलाला की जो प्रैक्टिस देखने को मिलती है, वे शरिया के अनुरूप नहीं है। उधर, इस मामले पर संविधान विशेषज्ञ और नेशनल अकादमी लीगल स्टडीज एंड रिसर्च के कुलपति प्रोफेसर फैजान मुस्तफा का कहना है कि देश में ऐसे करीब 100 शरिया बोर्ड  पहले से हैं। अब 100 और खुल जाएंगे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा।  वहीं इस पूरे विवाद पर सभी तरफ से अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया आ रही है। जहां एक तरफ कर्नाटक के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जेडए खान ने इस प्रस्ताव को अच्छा बताया, वहीं यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वसीम रिजवी ने इसे राष्ट्र विरोधी करार दिया। वसीम ने कहा कि देश में संविधान है। इसी संविधान के आधार पर जजों की नियुक्ति होती है। देश में शरिया कोर्ट की कोई जगह नहीं है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कौन होता है समानांतर अदालतें खड़ा करने वाला? यह राष्ट्रद्रोह है।

सुप्रीम कोर्ट की लार्जर बैंच के सामने ले जाएंगे बाबरी मस्जिद प्रकरण

एआईएमपीएलबी की बैठक में निर्णय लिया गया कि बाबरी मस्जिद मामले को सुप्रीम कोर्ट की लार्जर बैंच के सामने ले जाया जाएगा। हालांकि, अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रही बाबरी मस्जिद केस की सुनवाई पर बोर्ड ने संतुष्टि जताई है, लेकिन इस बिंदु पर भी सहमति बनी है कि केस को बड़ी बैंच के सामने ले जाया जाएगा। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य सैयद कासिम रसूल इलियास ने बताया कि इस तरह की मांग लगातार आ रही थीं, जिसके बाद रविवार की बैठक में इस पर सहमति बनी है। उनके मुताबिक, अगर लार्जर बैंच इस केस की सुनवाई करता है तो हर दृष्टिकोण से इस पर सुनवाई की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।


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