नौ साल बाद लहसुन धड़ाम

By: Jul 11th, 2018 12:05 am

भुंतर —किसानों को मायूस करने वाले कुल्लू के लहसुन की कीमतों ने इस बार पिछले नौ सालों का रिकार्ड धराशायी कर दिया। पहले खेतों में और अब मार्केट में रूलाने वाली इस फसल को खरीददार नहीं मिल रहे हैं। लिहाजा, मार्केट में कौडि़यों के भाव बिकने का मजबूर है। दाम न मिलने से हजारों किसानों की आर्थिकी डगमगा गई है तो खेतों में ही लहसुन खरीद बैठे कारोबारी अपना पैसा लुटता देख रहे हैं। मार्केट सूत्रों के अनुसार कुल्लू की मंडियों में लहसुन को महज 15 से 18 रुपए के दाम मिल रहे हैं। एपीएमएसी के आधिकारिक आंकड़े के अनुसार जुलाई माह के पहले सप्ताह में लहसुन का औसत दाम 17.50 रूपए प्रति किलो आंका गया है। यह दाम वर्ष 2008 के बाद के सबसे कम दाम है। अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार साल 2008 में भी जुलाई माह में लहसुन को महज 18 से 20 रुपए के दाम मिले थे। हालांकि इसके बाद के सालों में कुल्लू के लहसुन की डिमांड काफी अच्छी देखने को मिली थी और ऊंचे दामों ने किसानों के बारे-न्यारे करने आरंभ कर दिए। दक्षिण भारत की मंडियों के अलावा विदेशों को कुल्लू के लहसुन की सप्लाई से उत्पादकों को ऊंचे दाम नसीब हो रहे थे, लेकिन इस बार कई राज्यों में बंपर फसल ने हिमाचली किसानों की लुटिया डुबो दी है। किसानों का कहना है कि पहले प्रतिकूल मौसम के कारण बीमारियों ने भी फसल को बबार्द किया और भारी भरकम राशि फसल पर खर्च करने के बाद दाम चित कर रहे हैं। मार्केट के जानकारों के अनुसार पिछले दस सालों में दूसरी बार ऐसे हालात देखने को मिल रहे हैं। मार्केट बोर्ड के आंकड़ों के जुलाई माह की शुरुआत में कुल्लू का अधिकतर लहसुन मार्केट में आता है और अच्छे दाम मिलते हैं। पिछले साल इस अवधि के दौरान किसानों को फसल की औसत कीमत 42 रुपए प्रति किलो मिली थी। इसके अलावा इसी अवधि के दौरान वर्ष 2016 में औसत दाम 90 रुपए प्रति किलो रहे थे, जो दस सालों में सबसे ऊंचे दाम थे। वर्ष 2015 में जुलाई माह की शुरुआत में औसत दाम 55 रुपए प्रति किलो, 2014 में 42 रुपए प्रति किलो, 2013 में 34 रुपए, 2012 में 36 रुपए, 2011 में 43 रुपए, 2010 में 56 रुपए और 2009 में औसत दाम इस अवधि के दौरान 58 रुपए प्रति किलो रहे थे। एपीएमसी के सचिव सुशील गुलेरिया कहते हैं कि 2008 के बाद लहसुन को इतने कम दाम इस बार मिल रहे हैं। उन्होने बताया कि फसल के उचित दाम दिलाने के लिए कारोबारियों को निर्देश भी दिए गए हैं।


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